good manners

60 Good Manners Of Life In Quraan | कुरान में 60 ज़िन्दगी के आदाब | Hindi

60 Good Manners Of Life In Quraan | कुरान में 60 ज़िन्दगी के आदाब | Hindi

अच्छे आदाब (Manners ) हर इंसान के लिए बहुत अहम् हैं, और ये Manners खुद हमें कुरान सिखा रहा है और वैसे तो पूरा कुरान हमारी ज़िन्दगी का रहबर ( गाइड ) है लेकिन 60 कुछ अच्छे आदाब हैं जो कुरान हमें सिखाता है।

यहाँ कुरान के ज़रिये से अल्लाह ने 60 प्रमुख अच्छे आदाब (Manners ) की लिस्ट दी गई है;

1. कभी झूठ मत बोलो – (कुरान 22.30)

2. कभी किसी की जासूसी न करें – (कुरान 49.12)

3. इतराओ मत बेशक अल्लाह ता आला इतराने वालों को पसंद नहीं करता – (कुरान 28 76 )

4. किसी की बेईज्ज़ती न करें – (कुरान 49.11)

5. फुजूल खर्ची न करो – (कुरान 17.26)

6. जरूरतमंदों को खिलाएं – (कुरान 22.36)

7. किसी के पीठ पीछे उसकी बुराई न करो – (कुरान 49.12)

8. अपनी कसमों की हिफाज़त करो (जब क़सम खा लो तो पूरा करो या कफ्फारा दो) – (कुरान 5.89)

9. कभी रिश्वत न लें – (कुरान 27.36)

10. अपना मुआहदा पूरा करो – (कुरान 9.4)

11. अपने गुस्से पर क़ाबू रखें – (कुरान 3.134)

12. गपशप न फैलाएं – (कुरान 24.15)

13. दूसरे लोगों के बारे में अच्छा सोचो – (कुरान 24.12)

14. माँ बाप के साथ कभी सख्त न बनो हमेशा नर्म रवय्या इख्तियार करो – (कुरान 17.23)

15. बुरी और बेफायदा बातों से दूर रहो – (कुरान 23.3)

16. लोगों का मजाक मत उड़ाओ – (कुरान 49.11)

17. आजिज़ी के साथ ज़मीन पर चलें – (कुरान 25.63)

18. बुरे के साथ भी अच्छा बरताव रखो – (कुरान 41.34)

19. वो मत कहो जो तुम नहीं करते या नहीं कर सकते – (कुरान 61.2)

20. अपना वादा पूरा करो और अमानत में खयानत न करो – (कुरान 23.8)

21. दूसरों के झूठे देवताओं बुरा भला न कहें – (कुरान 6.108)

22. Business व्यापार में लोगों को धोखा न दें – (कुरान 6.152)

23. बगैर किसी हक़ के कोई चीज़ न लें – (कुरान 3.162)

24. गैर ज़रूरी सवाल न करें – (कुरान 5.101)

25. कन्जूस मत बनो और न ही फुजूल खर्ची करने वाले बनो – (कुरान 25.67)

26. बुरे नामों से दूसरों को मत बुलाओ – (कुरान 49.11)

27. अपने आप को पाक (शुद्ध) होने का दावा न करें – (कुरान 53.32)

28. एहसान करने के बाद उसका बदला न मांगो – (कुरान 76.9)

29. मजलिसों में दूसरों के लिए जगह बनाओ – (कुरान 58.11)

30. अगर दुश्मन सुलह व शांति चाहता है, तो उसे कुबूल करो – (कुरान 8.61)

31. अच्छे तरीके से सलाम का जवाब दो (कुरान 4.86)

32. लोगों को अपने एहसान की याद न दिलाएं – (कुरान 2.264)

33. अगर दो ग्रुप आपस में लड़ पड़ें तो उन में सुलह करा दो – (कुरान 49.9)

34. दरमियानी आवाज़ से बात करें और अपनी आवाज़ को पस्त रखें – (कुरान 31.19)

35. नफरत फ़ैलाने की वजह न बनो (कुरान 6.108)

36. अपने घर में दाखिल होने पर लोगों को सलाम करें – (कुरान 24.27)

37. काफिरों के लीडरों से भी धीरे से बात करें – (कुरान 20.44)

38. दूसरों के कम दिए गए चंदे मज़ाक न उड़ाओ – (कुरान 9.79)

39. पैगंबर को मत बुलाओ उस तरह जिस तरह से दूसरों को बुलाते हो – (कुरान 24.63)

40. मियां और बीवी के बीच सुलह व शांति बनाने की कोशिश करें – (कुरान 4.128)

41. करप्शन और फितना क़त्ल से बदतर गुनाह है – (कुरान 2.217)

42. हिकमत और अच्छे तरीके से दूसरों को सिखाओ – (कुरान 16.125)

43. बिना सबूत के दूसरों पर इलज़ाम न लगाएं – (कुरान 24.4)

44. पैगंबर की बीवियों को अपनी माँ की तरह समझो – (कुरान 33.6)

45. अपनी आवाजें पैगंबर की आवाज से ऊंची न करो – (कुरान 49.2)

46. बिना जाने और तहक़ीक़ के किसी को काफ़िर मत कहो – (कुरान 4.94)

47. किसी के कमरे में दाखिल से पहले इजाज़त लो – (कुरान 24.59)

48. अगर इस तरह जवाब दो जो बहुत अच्छा हो तो हो सकता है तुम्हारा दुश्मन भी दोस्त बन जाये – (कुरान 41.34)

49. इतराते हुए लोगों से मुंह मत फेरो – (कुरान 31.18)

50. दूसरों को माफ कर दो, जैसा कि आप चाहते हैं कि अल्लाह आप को माफ कर दे – (कुरान 24.22)

51. गुनाहों के लिए गुप्त बैठक न करें, बल्कि नेकी के लिए ऐसा करें – (कुरान 58.9)

52. खुद को भूलते हुए दूसरों को भलाई करने का हुक्म न दें – (कुरान 2.44)

53. जो आप की ओर आते हैं, उन्हें दूर मत करो, – (कुरान 80. 10)

54. यदि कोई गरीब व्यक्ति की मदद करने की ताक़त नहीं है, तो कम से कम अच्छे शब्द ही बोलें – (कुरान 17.28)

55. बिना अनुमति के घरों में प्रवेश न करें और यदि प्रवेश से इनकार कर दिया तो वापस लौटें – (कुरान 24.27-28)

56. उनके साथ मत बैठिए जो लोग धर्म का मज़ाक उड़ाते हैं, जब तक वो बदल न जाएँ – (कुरान 4.140)

57. अपनी पत्नी को रखने और दुख देने के बजाय विनम्र तरीके से तलाक देना – (कुरान 2.231)

58. एक नपे तुले तरीके से सजा दें जैसेकि आपको कैसे चोट दी गयी या सब्र रखें – (कुरान 16.126)

59. भाषा और रंग में अंतर अल्लाह ने दिया हैं, इसका मतलब किसी किसी तरह की बलंदी नहीं है – (कुरान 49.13)

60. किसी भी महिला को शक्ति या ताक़त के ज़रिये मत लो, और उनके साथ नरमी से रहो – (कुरान 4.19)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *