shadi se pahle 10 naseehaten

Shadi Se Pahle 10 Naseehaten | शादी से पहले 10 नसीहतें

Shadi Se Pahle 10 Naseehaten |

शादी से पहले 10 नसीहतें

निकाह और शादी ( Marriage ) एक ऐसा बंधन है और एक ऐसा रिश्ता है जिसमें दो अजनबी हमेशा के लिए एक दुसरे का लिबास बन जाते है आसानी हो या परेशानी दुःख हो या सुख एक दुसरे का साथ देते हैं और एक दुसरे का हौसला बनते हैं, ये ऐसा रिश्ता है जिस से भागने वाले को हमारे नबी करीम (सल्लल लाहु अलैहि वसल्लम) ने नापसन्द फ़रमाया है, और फरमाया कि निकाह करने में बेशुमार फज़ीलतें और बरकतें हैं और ये गुनाहों से बचने का जरिया भी है

निकाह के बाद मियां को कुछ जिम्मेदारियां पूरी करनी होती हैं और बीवी को कुछ जिम्मेदारियां पूरी करनी होती हैं, कुछ मियां के हक़ हैं जो बीवी को अदा करने होते हैं और कुछ बीवी के हक़ हैं जो मियां को अदा करने होते हैं, जबतक अपनी अपनी जिम्मेदारियां दोनों पूरी करते रहते हैं तब तक शादी शुदा ज़िन्दगी ख़ूबसूरत और जन्नत बनी रहती है और अगर एक दुसरे के हक़ पूरे नहीं किये गए तो ज़िन्दगी जहन्नम बन कर रह जाती है

यहाँ पर हम उन शादी से पहले 10 नसीहतें ( Shadi Se Pahle 10 Naseehaten )बताएँगे जो इमाम अहमद बिन हम्बल र.अ. ने अपने साहबज़ादे को शादी के वक़्त उसे अपनी बीवी से मिलने से पहले ये नसीहतें फ़रमायी, जिनकी शादी होने जा रही है वो और शादी शुदा मर्दों को चाहिए कि उनको पढ़ें और अपनी ज़िन्दगी में इस पर अमल करें

इमाम अहमद बिन हम्बल र.अ. ने फ़रमाया : मेरे बेटे घर का सुकून हासिल नहीं कर पाओगे जब तक कि अपनी बीवी के मामले में इन 10 आदतों को न अपना लो, इसलिए इन को गौर से सुनो और अमल का इरादा करो

Shadi Se Pahle 10 Naseehaten

1 : औरतें तुम्हारी तवज्जो चाहती हैं, और चाहती हैं कि तुम उनसे साफ़ और खुले अलफ़ाज़ में मुहब्बत का इज़हार करते रहो इसलिए वक़्त वक़्त पर अपनी बीवी को अपनी मुहब्बत का अहसास दिलाते रहो और साफ़ अलफ़ाज़ में उसको बताओ कि उसका तुम्हारी ज़िन्दगी में होना कितना अहम् है वो तुम्हारे लिए कितनी ज़रूरी है ( इस गुमान में न रहो कि वो खुद समझ जाएगी रिश्तों को इज़हार की हमेशा ज़रुरत रहती है )

2 : याद रखो ! अगर तुमने उससे मुहब्बत के इज़हार में कंजूसी से काम लिया तो उम दोनों के दरमियान एक तल्ख़ दरार आ जाएगी जो वक़्त के साथ बढती रहेगी और मुहब्बत को ख़त्म कर देगी जोकि एक शादी शुदा ज़िन्दगी के लिए और आने वाली नस्लों के लिए बिलकुल भी अच्छा नहीं है

3 : औरतों को सख्त मिज़ाज और ज़रुरत से ज़्यादा इह्तियात करने वाले मर्दों से ना गवारी और तकलीफ़ होती है लेकिन वो नर्म मिज़ाज मर्द की नरमी का बेजा फ़ायदा भी उठाना जानती हैं इसलिए इन दोनों सिफ़ात और ख़ूबियाँ अपनाने ज़रा दरमियानी चाल रखना ताकि घर में बैलेंस बना रहे और तुम दोनों को ज़हनी सुकून हासिल हो

4 : औरतें अपने शौहर से वही उम्मीद रखती हैं जो शौहर अपनी बीवी से रखते हैं यानि इज्ज़त, मुहब्बत भरी बातें, ज़ाहिरी जमाल व ख़ूबसूरती, साफ़ सुथरा लिबास और ख़ुशबूदार जिस्म, इसलिए हमेशा इसका ख़याल रखना, इस हालत में रहने परहेज़ करो जिससे सामने वाले को तुम्हें देखते ही कराहियत होने लगे और वो तुम्हारे क़रीब आने के बजाये दूर होने लगे

5 : याद रखो ! घर की चार दीवारी औरत की सल्तनत है, जब वो वहां होती है तो गोया अपनी मम्लकत (बादशाहत) के तख़्त पर बैठी होती है, उसकी इस सल्तनत में बेजा मुदाखलत (interfere) हरगिज़ नहीं करना और उसका तख़्त छीनने की कोशिश न करना, जितना हो सके घर के मामलात उसके सुपुर्द करना और चीज़ों और मामलात के रद्दो बदल में उसको आज़ादी देना

Shadi Se Pahle 10 Naseehaten

6 : हर बीवी अपने शौहर से मुहब्बत करना चाहती है लेकिन याद रखो !  उसके माँ बाप बहन भाई और दूसरे घर वाले भी हैं जिन से वो अपना ताल्लुक़ तोड़ नहीं सकती और ना ही उससे ऐसी उम्मीद रखना जाएज़ है, इसलिए कभी भी अपने और उसके घर वालों के दरमियान मुकाबले की सूरत पैदा न होने देना क्यूंकि अगर उसने मजबूरन तुम्हारी खातिर अपने घर वालों को छोड़ भी दिया तब भी वो बेचैन रहेगी और ये बेचैनी आख़िरकार तुमसे उसे दूर कर देगी और नफ़रत पर उभारेगी

7 : यक़ीनन औरत टेढ़ी पसली से पैदा की गयी है और उसी में उसका हुस्न (खूबसूरती) भी है ये हरगिज़ कोई नुक्स या कमी नहीं, वो ऐसी ही अच्छी लगती है जिस तरह भंवें गोलाई में खूबसूरत मालूम होती हैं इसलिए उसके इस टेढ़ेपन से फ़ायदा उठाओ और उसके इस हुस्न से लुत्फ़ अन्दोज़ हुवा करो,

अगर कभी उसकी कोई बात नागवार भी लगे तो सख्ती और तल्खी से उसको सीधा करने की कोशिश न करो वरना वो टूट जाएगी, और उसका टूटने से आख़िरकार तलाक़ तक नौबत आ जाएगी, मगर उसके साथ ऐसा भी न करना कि उसकी हर ग़लत और बेजा बात मानते चले जाओ वरना वो मगरूर हो जाएगी जो कि ख़ुद उसके अपने ही लिए नुकसानदेह है इसलिए दरमियाना मिज़ाज रखना और हिकमत से मामलात को चलाना

8 : शौहर की नाक़दरी और नाशुक्री अक्सर औरतों की फितरत में होती है अगर सारी उम्र भी उस पर नवाज़िशात और महेरबनियाँ करते रहो लेकिन कभी कोई कमी रह गयी तो वो यही कहेगी तुम ने आज तक कौन सी मेरी बात सुनी है, इसलिए उसकी फितरत से ज़्यादा परेशान मत होना न ही उसकी वजह से उस से मुहब्बत में कमी करना,

ये एक छोटा सा ऐब है उसके अन्दर लेकिन उसके मुकाबले में उसके अन्दर बेशुमार ख़ूबियाँ भी हैं, बस तुम उन पर नज़र रखना और अल्लाह की बंदी समझ कर उससे मुहब्बत करते रहना और उसके तमाम हक़ अदा करते रहना

9 : हर औरत पर जिस्मानी कमजोरी के कुछ दिन ( माहवारी) आते हैं, इन दिनों में अल्लाह तआला ने भी उसको इबादत में छूट दी है उसकी नमाज़ें माफ़ कर दी हैं और उसको रोजों में उस वक़्त तक मोहलत दी है जब तक वो सेहत याब न हो और ये दिन गुज़र न जाएँ, बस इन दिनों में तुम उसके साथ ऐसे ही महरबान रहना जैसे अल्लाह तआला ने उस पर महरबानी की है जिस तरह अल्लाह त आला ने उस पर से इबादत हटा लीं वैसे ही तुम भी इन दिनों में उसकी कमजोरी का लिहाज़ रखते हुए उस्क्की जिम्मेदारियों में कमी कर दो, उसके काम काज में मदद कर दो और उसके लिए आसानियाँ पैदा कर दो

10 : आखिर में बस ये याद रखो कि तुम्हारी बीवी तुम्हारे पास एक कैदी है जिसके बारे में अल्लाह तआला तुम से सवाल करेगा, बस उसके साथ इन्तिहाई रहम व करम का मामला करना ( बेटा ! शेर अपनी मादा के पास साल में एक बार जाता है, साल में एक बार नहीं तो महीने में एक बार, नहीं तो 15 दिन में एक बार, नहीं तो हफ़्ते में एक बार ज़रूर जाओ )

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