surah wal asri translation

Surah Wal Asri Translation | सूरह अस्र (वल अस्रि ) तर्जुमा और तफ़सीर

Surah Wal Asri Translation |

सूरह अस्र (वल अस्रि ) तर्जुमा और तफ़सीर

सूरतुल अस्र

1.वल अस्र

2.इन्नल इन्सा-न लफ़ी खुस्र

3.इल्लल लज़ीना आमनू व अमिलुस सालिहाति व तवासौ बिल हक़कि व तवासौ बिस सब्र

Suratul Asr

1. Wal Asr

2. Innal Insana Lafi Khusr

3. Illal Lazina Aamanu Wa Amilus Salihati Wa Tawa Sau Bilhaqqi Wa Tawa Sau Bis Sabr

Translation Suratul Asr

1. ज़माने की क़सम है

2. कि इंसान बड़े घाटे में है

3. सिवाए उन लोगों के जो ईमान लाये, नेक अमल करते रहे, एक दुसरे को हक़ (पर क़ायम रहने) की और सब्र करने की ताकीद करते रहें

सूरह अस्र की फ़ज़ीलत

ये सूरह ( Surah Wal Asri ) क़ुराने करीम की बहुत मुख़्तसर और छोटी सूरत है लेकिन इमाम शाफ़ई र.अ. ने फ़रमाया कि अगर लोग इसी सूरत को गौर व तदब्बुर के साथ पढ़ लें तो ये उनकी दीनो दुनिया की दुरुस्ती के लिए काफ़ी हो जाये, इस में अल्लाह ने ज़माने की क़सम खा कर फ़रमाया कि तमाम इंसान घाटे में हैं सिर्फ वो लोग बचे हुए हैं जो इन चार चीज़ों के पाबंद हों ( ईमान, नेक आमाल, दूसरों को हक़ की नसीहत,और सब्र की वसिय्यत)

अल्लाह तआला ने ज़माने की क़सम क्यूँ खायी ?

इंसान को दुनिया की जितनी नेअमतें अता की गयी हैं गौर किया जाये तो उन में सब से बड़ी नेअमत वक़्त है, इसीलिए क़ुराने मजीद में सब से ज़्यादा वक़्त ही की क़सम खायी गयी है कहीं सुबह की, कहीं रात की, और यहाँ ज़माने की क़सम खायी जा रही है जिसमें सारे वक़्त (सुबह हो या शाम, रात हो या दिन) सब शामिल हैं |

बहरहाल इस में इस बात की तरफ इशारा है कि हर मुसलमान को वक़्त की क़द्र व क़ीमत पहचाननी चाहिए, क्यूंकि दुनिया व आखिरत की तमाम कामयाबी इस बात से मुताल्लिक है कि वक़्त का सही इस्तेमाल किया जाये और उसे बर्बाद होने से बचाया जाये |

चुनांचे क़यामत के दिन इंसान ख़ास तौर पर इस बारे में सवाल होगा कि उसने अपनी उम्र,अपनी जवानी,और अपने इल्म का क्या इस्तेमाल किया ? गौर कीजिये ! इन में से उम्र और जवानी दोनों का ताल्लुक़ वक़्त और ज़माने से ही है |

सूरह अस्र में चार बहुत ज़रूरी बातों का हुक्म

इस सूरह में अल्लाह तआला ने फ़रमाया कि जिस इंसान की ज़िन्दगी चार बातों से खाली है वो बहुत ही नुकसान में है और इस नुकसान का मतलब आख़िरत का नुक़सान है यानि वो आखिरत में अल्लाह की रहमत से महरूम कर दिए जायेंगे |

1. ईमान – अगर ईमान न लाये तो बज़ाहिर कितना भी अच्छा अमल कर ले आखिरत में इस का कोई फायदा नहीं |

2. अमले सालेह यानि नेक आमाल – नेक अमल वो होते हैं जिस का हुक्म अल्लाह ने दिया हो और रसूल स.अ. का तरीका हो अल्लाह को राज़ी करने के लिए किया हो, इन में से एक चीज़ भी न पाई गयी तो चाहे वो देखने में अच्छा मालूम हो लेकिन अल्लाह के यहाँ कुबूल नहीं |

3. हक़ की वसिय्यत – वसिय्यत के माने ताकीद के साथ किसी बात को ज़िक्र करना, मतलब ये है कि एक दुसरे को हक़ की तरफ़ दावत दी जाये, जो ईमान न लाये हों उनको ईमान की दावत दी जाये और जो नेक अमल न करते हों उनको नेक अमल की दावत दी जाये |

4. सब्र की वसिय्यत – सब्र की ताकीद करना यानि अल्लाह के हुक्मों को बजा लाने में और अल्लाह की नाफ़रमानी से बचने में जो मुश्किलें और मशक्क़तें हों उनको बर्दाश्त करने की तलकीन करना |

हक़ की तरफ़ दावत के फ़ौरन बाद सब्र की दावत देने में गालिबन इस बात की तरफ इशारा है कि दावत के काम में बड़े सब्र की ज़रुरत है और इंसान को तबियत के ख़िलाफ़ बातें सुननी और बर्दाश्त करनी पड़ती हैं, तो ऐसे हाल में हक़ की दावत देने वालों को सब्र का आदी हो जाना चाहिए |

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5 thoughts on “Surah Wal Asri Translation | सूरह अस्र (वल अस्रि ) तर्जुमा और तफ़सीर

    1. Walaykumas salam
      Ramzan k akhri juma baad 4 raqat ek salam se har raqat me surah fatiha k bad 7 bar aytal kurshi 25 bar surah kaushar padhni he inshallah allah pak sari kaza namaz qubool karlege

      Jazakallah khair

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