surah a'la in hindi translation

Surah Al-Aa’la In Hindi Translation | सूरह अल-अअ’ला हिन्दी में तरजुमा

Surah Al-Aa’la In Hindi Translation

सूरह अल-अअ’ला हिन्दी में तरजुमा

क़ुरआन को समझने के लिए उसके तीसवें पारे की सूरह अल-अअ’ला हिन्दी में तरजुमा और तशरीह ( Surah Al-Aa’la In Hindi Translation ) के साथ बयान की है जिसमें अल्लाह ने बन्दों को जो पैग़ाम दिया है वो आप तक पहुंचेगा और इसको पढ़ें और दुसरे लोगों तक पहुँचायें

Surah Al-Aa’la In Hindi & its Translation

1. सब बिहिसम रब्बिकल अ’अला

अपने परवरदिगार के नाम की तस्बीह बयान कीजिये जिसकी शान सब से ऊंची है

2. अल्लज़ी खलका फसव्वा

जिस ने सब कुछ पैदा किया, और ठीक ठीक बनाया

3. वल्लज़ी क़द्दारा फ़-हदा

और जिस ने हर चीज़ को एक ख़ास अंदाज़ दिया फिर रास्ता बताया

4. वल लज़ी अख़ रजल मरआ

और जिस ने सब्ज़ चारा (ज़मीन से ) निकाला

5. फजा अलहु गुसाअन अहवा

फ़िर उसको सियाह भूसा बना डाला

6. सनुक़ रिउका फला तन्सा

(ए पैग़म्बर ) हम ख़ुद आपको क़ुरआन पढ़ाएंगे तो आप नहीं भूलेंगे

7. इल्ला माशा अल्लाह, इन्नहू यअ’लमुल जहरा वमा यख्फा

सिवाए उसके जिसको अल्लाह चाहे, यक़ीन रखो ! वो खुली हुई चीज़ों को भी जानता है और उन चीज़ों को भी जो छुपी हुई हैं

8. व नुयस्सिरुका लिल युसरा

और हम आपको आहिस्ता आहिस्ता आसानी तक पहुंचा देंगे

9. फ़ ज़क्किर इन् नफ़ा अतिज़ ज़िकरा

तो आप नसीहत करते रहिये, अगर नसीहत का फ़ायदा हो

10. सयज़ ज़क करू मै यख़शा

जिसके दिल में अल्लाह का खौफ़ होगा वो नसीहत मानेगा

11. व यतजन्न बुहल अश्का

और उस से दूर रहेगा जो बड़ा बद बख्त होगा

12. अल्लज़ी यस्लन नारल कुबरा

जो सब से बड़ी आग में गिरेगा

13. सुम्म ला यमूतु फ़ीहा वला यहया

फिर उस (आग) में न मरेगा और न जियेगा

14. क़द अफ्लहा मन तज़क्का

वो कामयाब हो गया जिसने पाकीज़गी इख्तियार की

15. व ज़करस्म रब्बिही फ़सल्ला

और अपने परवरदिगार का नाम लिया और नमाज़ पढ़ी

16. बल तुअ’सिरूनल हयातद दुनिया

लेकिन तुम लोग दुनयवी ज़िन्दगी को आगे रखते हो

17. वल आखिरतु खैरुव वअब्क़ा

हालाँकि आख़िरत कहीं ज़्यादा बेहतरीन और बाक़ी रहने वाली है

18. इन्न हाज़ा लफ़िस सुहुफ़िल ऊला

ये बात पिछले (आसमानी) सहीफों में भी दर्ज है

19. सुहुफि इब्राहीमा व मूसा

इबराहीम और मूसा (अ.स.) के सहीफों में

Surah Al-Aa’la In Hindi Transliteration

आयत न. 1 : हदीस में आता है कि जब ये आयत उतरी तो अल्लाह के रसूल सल्लल लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया : इसको सज्दे में रखो यानि सज्दे में सुबहाना रब्बियल आला पढ़ा करो

आयत न. 2 : यानि अल्लाह ने हर चीज़ को ऐसे तरीक़े से बनाया जो उसके लिए सब से बेहतर तरीक़े था, पहाड़ को ऊंचा बनाया लेकिन दरख़्त को इतना ऊंचा नहीं बनाया वरना फल तोड़ना मुश्किल हो जाता, चावल और गेहू के पौदे बड़े दरख़्त की तरह ऊंचे और सख्त नहीं बनाये वरना उसकी कटाई मुश्किल हो जाती मतलब अल्लाह ने हर चीज़ को पैदा करते वक़्त उसको उसी सूरत में बनाया जो उसके लिए सब से ज़्यादा मुनासिब है

आयत न. 3 : आसमान में जितने भी सय्यारे हैं वो सब अपनी हद में चल रहे हैं सूरज हो या चाँद सब को अपनी हद में मालूम है, जिन जानवरों की ख़ुराक गोश्त है वो घास को मुंह नहीं लगते और जिनकी ख़ुराक घास है वो गोश्त को मुंह नहीं लगाते, यानि अल्लाह ने हर चीज़ का एक दायरा तय कर दिया है, औ उस में हर काम की हद तय कर दी है

आयत न. 4 और 5 : इन आयतों में इस बात की तरफ़ इशारा है कि जो भी चीज़ दुनिया में है वो कुछ अरसे तक अपनी बहार व खूबसूरती दिखने के बाद बद शक्ल और फिर फ़ना हो जाती है

आयत न. 6 और 7 : जब हज़रत जिब्राईल अ.स. तशरीफ़ लाते और क़ुरान की तिलावत करते तो नबी करीम स.अ. जल्दी जल्दी दोहराने लगते कि हैं भूल न जाएँ तो अल्लाह तआला ने इस आयत में इतमिनान करा दिया कि हम आपको भूलने नहीं देंगे हाँ मगर जिनको अल्लाह ख़ुद भुलाना चाहे तो उसे आप भूल जायेंगे

आयत न. 8 : जो शरीअत नबी करीम स.अ. पर नाज़िल हुई वो तो वैसे ही आसान है लेकिन फिर भी अल्लाह ने तसल्ली दी कि हम उस पर आपका चलना आसान कर देंगे

आयत न. 9 : नबी करीम स.अ. को हुक्म था कि आप का काम नसीहत करना है इसलिए आप नसीहत करते रहिये जिनके दिल में अल्लाह का ज़र्रा बराबर भी खौफ़ होगा वो ज़रूर ईमान ले आयेंगे और जिनके दिल में नहीं होगा तो नसीहत उनके काम नहीं आएगी और वो आग के गढ़े में गिर जायेंगे

आयत न. 13 : यानि जिंदा रहने पर कोई आराम हासिल नहीं होगा और मौत भी नहीं आएगी कि इस से छुट्कारा मिल जाये

आयत न. 14 : पाकीज़गी इख्तियार करने का मतलब है हर तरह की गन्दगी से पाक होना वो चाहे शिर्क की गन्दगी से हो या फ़िस्क़ और फुजूर की गन्दगी से हो

आयत न. 14 से 17 :  इन आयतों में ये बताया गया है कि वो शख्स कामयाब हो गया जिसने पाकीज़गी इख्तियार की, अल्लाह का नाम लिया और नमाज़ पढ़ी लेकिन हक़ीक़त तो ये है कि तुम्हारी सारी दौड़ आख़िरत के लिए नहीं बल्कि दुनिया के लिए है जो कि फ़ना हो जाने वाली है और आख़िरत हमेशा बाक़ी रहने वाली है

अल्लाह हम सबको दुनिया और आख़िरत में कामयाबी अता फरमाए

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