imaan par maut

Imaan Par Maut Kaise Aye | ईमान पर मौत के 7 नुस्खे

Imaan Par Maut  Kaise Aye

ईमान पर मौत के 7 नुस्खे

1. नेक लोगों की सोहबत में रहना

अब सवाल उठता है कि नेक लोग कौन हैं ?

तो ये बात जान लीजिये कि नेक लोग वो हैं जिनके साथ बैठ कर अल्लाह याद आये और जिनके पास बैठ कर दुनिया से बे रग्बती पैदा हो और दुनिया हक़ीर नज़र आये तो ऐसे लोगों का साथ पकड़ लें और इन्ही के साथ उठाना बैठना रखें |

2. निगाहों की हिफ़ाज़त

अगर कोई ईमान की हलावत दिल में महसूस करना चाहता है तो सामने ग़ैर महरम हो और वो नज़र झुका ले तो दिल में ईमान की हलावत महसूस करेगा लेकिन आज का दौर ऐसा है जिसमें बेपर्दगी आम है

और अगर औरते नहीं है तो सड़कों और गलियों में नाज़ेबा पोस्टर लगे होते है जो हमारी नज़रों को महफूज़ नहीं रहने देते इसके साथ ही मर्दों और औरतों का एक साथ इकठ्ठा होना भी इस गुनाह की सब से बड़ी वजह है |

3. मिस्वाक करके नमाज़ पढ़ना

अगर आप मिस्वाक करके नमाज़ पढते हैं तो उस नमाज़ का 70 गुना ज़्यादा सवाब मिलता है उन नमाज़ों के मुकाबले में जिसमें आप ने मिस्वाक नहीं की थी, और जो हर नमाज़ में मिस्वाक करता है तो अल्लाह तआला उस के साथ एक फ़रिश्ता लगा देते है जो उसको मरते वक़्त कलिमा याद करायेगा |

4. सूरह आले इमरान की ये दुआ पढ़ना

कुराने पाक सूरह आले इमरान की आयत न. 8 को कसरत से पढ़ते रहो

“रब्बना ला तुज़िग क़ुलूबना ब अदा इज हदैतना व हब लना मिल लदुन्का रह्मह, इन्नका अंतल व्ह्हाब”

तर्जुमा : ए हमारे रब ! हमको सही राह देने के बाद हमें दिलों को टेढ़ा न फरमा, और अपने पास से हमें रहमत अता फरमा दे, बेशक तू खूब खूब देने वाला है |

5. सदक़ा ख़ूब करना

सदक़ा करने फ़ायदा ये है कि इस ईमान भी बचेगा और माल भी बचेगा जो सदक़ा आप कर देते हैं वो अल्लाह के यहाँ बाक़ी रहता है और जो आप छोड़ जाते हैं वो सब आपके वारिसों का होता है इसलिए खूब कसरत से सदक़ा करो ताकि ईमान पर मौत नसीब हो और जो दुनिया में आगे भेज कर गए हो वो अल्लाह के यहाँ मिल सके |

6. मुसलमान होने का शुक्र अदा करो

अल्लाह तआला ने ईमान वाला बनाया मुसलमान बनाया इस ईमान के लिए हमें सहाबा की तरह या नौमुस्लिमों की तरह मुश्किलें झेलनी नहीं पड़ी इसका शुक्र अदा किया करो क्यूंकि ईमान वाला होना कितने बड़े शर्फ़ और इज्ज़त की बात है ये उस से पूछो जो किसी दुसरे मज़हब का इन्सान इस्लाम लेकर आये |

7. अज़ान का जवाब दो

अज़ान का एक जवाब तो ज़ुबानी है कि जब अज़ान हो तो गौर से सुनना और जो अल्फ़ाज़ मुअज्जिन कहे उनको दोहराना

दूसरा जवाब अमली है कि जब अज़ान हो जाये तो नमाज़ के लिए उठ कर जाना यानि जब मुआज्ज़ीं ने कहा कि आओ नमाज़ को तो आप ने इसके जवाब में अपने क़दम मस्जिद की तरफ बढ़ा दिए |

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