कंजूस की मेहमान नवाज़ी

कंजूस की मेहमान नवाज़ी 

एक कंजूस की कहानी है कि उसके घर कोई मेहमान आया

उस कंजूस ने अपने बेटे से कहा आधा किलो बढ़िया गोश्त ले आओ

बेटा बाहर गया और काफी देर बाद खाली हाथ लौटा

बाप ने पुछा “गोश्त कहाँ है”

 

बेटा  मैं कसाई के पास गया और उससे कहा कि सब से बढ़िया गोश्त जो तुम्हारे पास है वो देदो

कसाई ने कहाँ मै तुम्हे ऐसा गोश्त दूंगा जैसे की मक्खन हो

तो मैं ने  सोचा अगर ऐसा ही है तो चलो मक्खन ही ले लू

तो मैं मक्खन वाले के पास गया और कहा क़ि जा सब से अच्छा मक्खन जो तुम्हारे पास है वो दे दो

तो उसने कहा मैं तुम्हे ऐसा मक्खन दूंगा जैसे क़ि शहद हो

तो मैंने सोचा अगर ऐसा ही है तो चलो शहद ही खरीद लू

फिर मैं शहद वाले के पास गया और कहा क़ि सब से उम्दा शहद जो तुम्हारे पास है वो मुझे देदो

तो शहद वाले ने कहा मैं तुम्हे ऐसा शहद दूंगा जैसे क़ि वो साफ़ शफ़्फ़ाफ़ पानी हो

तो मैंने सोचा क़ि अगर ऐसा है तो पानी तो है ही घर में मौजूद

तो मैं खाली हाथ वापस आ गया

बाप ने कहा  “वाह बेटे तुम ने तो बहुत शातिराना अक़्ल भिरै लेकिन एक नुकसान कर दिया”

और वो यह क़ि एक दूकान से दूसरी दूकान तक जाने में तुम्हारी चप्पल घिस गयी होगी

बेटे ने कहा  “नहीं पापा ऐसा नहीं है मैं मेहमान की चप्पल पहेन कर गया था”

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