Surah Ale Imran Ki Aakhiri 10 Aayat

Surah Ale Imran Ki Aakhiri 10 Aayat | सूरह आले इमरान की आख़िरी 10 आयतें

Surah Ale Imran Ki Aakhiri 10 Aayat

सूरह आले इमरान की आख़िरी 10 आयतें

क़ुर आन के हर लफ्ज़, हर आयत, हर सूरह की एक अलग शान है जितना आप उसकी करते जायेंगे उसका सुरूर हासिल करते जायेंगे और हदीस में अलग अलग जगहों पर कभी किसी आयत या सूरह की फ़ज़ीलत बयान की गयी है उन्ही में से सूरह आले इमरान की आख़िरी दस आयतें (Surah Ale Imran Ki Aakhiri 10 Aayat ) हैं

इन आयतों की फ़ज़ीलत ( जो कि आले इमरान में आयत न.190 से 200 तक है ) के बारे में हदीस मुबारक में दर्ज है कि अल्लाह के नबी सल्लल लाहु अलैहि वसल्लम जब तहज्जुद में उठते तो आसमान को देखकर ये आख़िरी दस आयतें पढ़ते

हदीस शरीफ़ 

हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास र.अ. ने ये रिवायत नक़ल की है एक रात मैं आप स.अ. के साथ ही था तो मैंने देखा कि जब आप स.अ. तहज्जुद के लिए उठे तो और बाहर तशरीफ़ लाये तो आप ने आसमान देखकर इन आयतों की तिलावत फ़रमाई (बुख़ारी शरीफ़ )

तो हमें चाहिए कि जब हम तहज्जुद में उठें तो आसमान देख कर इन आयत की तिलावत कर लिया करें जिससे हम को भी उसकी फ़ज़ीलत का कुछ हिस्सा मिल जाये

Surah Ale Imran ki Aakhiri 10 Aayat | सूरह आले इमरान की आख़िरी 10 आयतें

190. इन्ना फ़ी ख़ल्किस समावाति वल अरदि वख़ तिलाफ़िल लैलि वन नहारि ला आयातिल लि उलिल अलबाब

191. अल्लज़ीना यज्कुरूनल लाहा क़ियामौ वक़ुऊदौ वअला जुनूबिहिम व य-तफ़क करुना फ़ी ख़ल्किस समावाति वल अर्द, रब्बना मा ख़लक्ता हाज़ा बातिला, सुब हानका फ़क़िना अज़ाबन नार

192. रब्बना इन्नका मन तुद्खिलिन नारा फ़क़द अख़ज़ैतह, वमा लिज़ ज़ालिमीना मिन अन्सार

193. रब्बना इन्नना समिअ’ना मुनादियै युनादी लिल इमानि अन आमिनू बिरब्बिकुम फ़ आमन्ना, रब्बना फ़ग़फ़िर लना ज़ुनूबना व वकफ़ फ़िर अन्ना सय्यि आतिना व तवफ़ फ़ना मअल अबरार

194. रब्बना व आतिना मा व अत्तना अला रुसुलिका वला तुख्ज़िना यौमल क़ियामह, इन्नका ला तुख्लिफ़ुल मीआद

195. फ़स तजाबा लहुम रब्बुहुम अन्नी ला उदीउ अ-मला आमिलिम मिन्कुम मिन ज़-करिन अव उन्सा, बअ’दुकुम मिम बअ’द फ़ल लज़ीना हाजरू व उख़रिजू मिन दियारिहिम वऊज़ू फ़ी सबीली व क़ातलू व क़ुतिलू लउकफ़ फिरन्ना अन्हुम सैयिआतिहिम व लउद्खिलन नहुम जन्नातिन तजरी मिन तहतिहल अन्हार, सवाबम मिन इन्दिल लाह, वल लाहु इन्दहू हुस्नुस सवाब

196. ला यगुर रन्नका तक़ल्लुबुल लज़ीना कफ़रू फ़िल बिलाद

197. मता उन क़लीलुन सुम्मा म अ’वाहुम जहन्नम, व बिअसल मिहाद

198. लाकिनिल लज़ीनत तकौ रब्बहुम लहुम जन्नातुन तजरी मिन तहतिहल अन्हारु खालिदीना फ़ीहा नुज़ुलम मिन इन्दिल लाह, वमा इन्दल लाहि खैरुल लिल अबरार

199. वइन्ना मिन अहलिल किताबि लमै युअ’मिनु बिल लाहि वमा उनज़िला इलैकुम वमा उनज़िला इलैहिम ख़ाशिईना लिल लाहि ला यश्तरूना बि आयातिल लाहि स-मनन क़लीला, उलाइका लहुम अजरुहुम इन्दा रब्बिहिम इन्नल लाहा सरीउल हिसाब

200. या अय्युहल लज़ीना आमनुस बिरू वसाबिरू व राबितू वत तक़ुल लाहा ल अल्लकुम तुफ्लिहून

अल्लाह अमल की तौफ़ीक़ अता फरमाए

आमीन 

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