Mozon Par Masah | मोज़ों पर हदीस के मुताबिक़ मसह कैसे करें

मोज़ों पर मसह ( Mozon Par Masah ) के मुताल्लिक़ हदीस

हदीस में ये बात साबित है कि नबी सल्लाल लाहू अलैहि वसल्लम ने न सिर्फ मोजों पर मसह की इजाज़त दी थी बल्कि खुद उस पर अमल भी फ़रमाया

मोजों पर मसह करना आसानी पर मबनी एक शरीअत का हुक्म है जिससे सभी फायदा उठा सकते हैं शर्त ये है कि किस मोज़े पर कैसे मसह किया जायेगा और ये मसह कब तक चलेगा | ये सारी बातें आपको मालूम होनी चाहियें

मोजों के किस हिस्से पर मसह किया जायेगा

इस का तरीका ये है कि पैर के उपरी हिस्से पर अपने तर हाथ की तीन उँगलियों को रखें पैर की उँगलियों की तरफ से टखने की तरफ ले जाएँ अगर ऊँगली के साथ हथेली भी शामिल कर ले तो बेहतर है

किन मोजों पर मसह सही होगा

ऐसे मोज़े जो इतने पतले न हों कि पानी उस में छन जाता हो आज कल इस्तेमाल होने वाले नायलोन सूती व ऊनी मोजों पर मसह जाएज़ नहीं हाँ चमड़े के मोज़े पर मसाह बिलकुल सही होगा

मसह कब तक बाक़ी रहेगा

एक बार जा वुजू के बाद मोजा पहन लिया तो मुसाफिर तीन दिन तीन रात तक मोजों पर मसह कर सकता है और मुकीम एक दिन एक रात तक

मसह की शुरुआत कब होगी

आपने वुजू के बाद मोजा पहना फिर कुछ देर बाद आपका वुजू टूट गया तो अब इसकी मुद्दत की शुरुआत होगी मतलब किसी ने ग्यारह बजे मोजा पहना फिर तीन बजे पहली बार उसका वुजू टूटा तो तीन बजे से इस मसह की शरुआत होगी यानी वो तीन दिन तीन रात और एक दिन एक रात अब से गिने जायेंगे

क्या ज़ख्म पर मसह कर सकते हैं

अगर चोट लग गयी हो और पानी नुकसान पहुंचा रहा हो तो उस पर तर हाथ से मसह कर ले अगर ये भी नुकसानदेह हो तो माफ़ है मसह की भी ज़रुरत नहीं

ज़ख्म की पट्टी पर मसह

अगर ज़ख्म पर पट्टी बंधी हो और वुजू करते वक़्त पट्टी के खोलने से तकलीफ हो तो मसह कर लेना काफी है

 

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