Khwaab Me Azaan Dena | ख्व़ाब में अज़ान देने का क्या मतलब है ?

Khwaab Me Azaan Dena

ख्व़ाब में अज़ान देने का क्या मतलब है ?

आप ख्व़ाब में देखते होंगें कि बड़ा नेक काम कर रहे हैं और कभी देखते होंगें कि कितना बुरा काम कर रहे हैं तो क्या अच्छे काम की ताबीर भी अच्छी होती है और बुरे काम की ताबीर भी बुरी होती है नीचे दो ख्व़ाब दिए जा रहे हैं इस आप को मालूम हो जायेगा तो चलिए देखते हैं

दो ख्व़ाब 

इमाम इब्ने सीरीन के पास एक शख्स ने आकर कहा ” मैंने ख्व़ाब देखा है कि में अज़ान दे रहा हूं” इसकी ताबीर और मतलब बता दीजिये तो उस ख्व़ाब की ताबीर आपने ये बताई कि तुझे इज्जत नसीब होगी, कुछ अरसे के बाद ख्व़ाब की ताबीर सच हो गयी और उस शख्स को इज्जत मिली

एक दूसरा शख्स हाज़िर हुआ उस ने भी यही ख्वाब देखा कि वह अज़ान दे रहा है तो इमाम इब्ने सीरीन ने इसकी ताबीर कुछ और ही फ़रमाई कहा कि तुझे ज़िल्लत मिलेगी यानि तू ज़लील होगा ( जबकि पहले आदमी को इज्ज़त की ताबीर बताई थी ) इस ख्व़ाब की ताबीर भी सच हो गई वो आदमी कुछ अरसे बाद ही चोरी के जुर्म में गिरफ्तार हुआ, और उसके हाथ काटे गए |

ख्व़ाब की ताबीर ( मतलब ) कैसे दी ?

इमाम साहब के एक शागिर्द ने पूछा कि हजरत दोनों ने एक जैसा ख्वाब ( अज़ान देना ) देखा था, मगर ताबीर और मतलब अलग-अलग क्यों हैं यानि एक को इज्ज़त मिली और दुसरे को ज़िल्लत मिली, तो इमाम साहब ने फ़रमाया “पहला शख्स जिसने ख्व़ाब में अज़ान देते हुए देखा मैंने उस शख्स में नेकी के आसार देखे ( यानि वो नेकियाँ करता था और गुनाहों से बचता था ) तो मेरे सामने कुरान की यह आयत आई

तो मैंने इस की ताबीर दी कि उसे इज्जत मिलेगी

लेकिन जब दूसरे ने वही अज़ान वाला ख्व़ाब सुनाया तो उसके अंदर फ़िस्क़ फ़ुजूर यानि गुनाहों के आसार थे ( वो नेकियाँ न करके गुनाहों में पड़ा हुआ था ) तो मुझे कुरान ए मजीद की ये आयत सामने आई

बस मैंने इस से यह ताबीर ली कि इस शख्स को ज़िल्लत मिलेगी, और ऐसा ही हुआ

इस से पता चला कि ख़्वाबों की ताबीर इंसान के हाल को देख कर दी जाती है अगर वो नेक और पाकबाज़ है तो ताबीर यक़ीनन अच्छी होगी लेकिन अगर वो गुनाहों की तरफ ज़्यादा झुका हुआ है तो इस की ताबीर भी बुरी खबर की तरह होती है चाहे वो कितना ही अच्छा ख्व़ाब देख ले |

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