baqrid me qurbani ka janwar

Baqrid Men Qurbani Ka Janwar Kaisa ho | क़ुरबानी का जानवर कैसा होना चाहिए ?

Baqrid Men Qurbani Ka Janwar Kaisa ho

क़ुरबानी का जानवर कैसा होना चाहिए ?

कौन से जानवर की क़ुरबानी जाएज़ है ?

(1) बकरा, बकरी (2) दुम्बा (3) भेड़ (4) गाय, भैंस, भैंसा (5) ऊँट, ऊंटनी (6) बैल

कौन से जानवरों की क़ुरबानी जाएज़ नहीं है ?

(1) हिरन (2) नीलगाए (3) मुर्गा मुर्गी (4) या दुसरे जंगली जानवर

क़ुरबानी का जानवर कितने साल का होना चाहिए ?

  1. बकरा, बकरी 1 साल का होना चाहिए
  2. गाय, भैंस, भैंसा 2 साल का होना चाहिए
  3. ऊँट, ऊंटनी 5 साल का होना चाहिए
  4. दुम्बा 1 साल का होना चाहिए :

लेकिन अगर दुम्बा 6 महीने का है और देखने में मोटा ताज़ा है  और 1 साल से ज़्यादा का लग रहा है तो उस की क़ुरबानी जाएज़ है लेकिन 6 महीने से कम में नहीं

चलिए ये तो पता चल गया कि कौन से जानवर की क़ुरबानी जाएज़ है और किस की नहीं लेकिन जानवर खरीदते वक़्त ये बात भी कन्फर्म कर लें कि शरीअत के मुताबिक़ उस में कोई ऐब या कमी तो नहीं है अगर है तो ऐसे जानवर की क़ुरबानी जायज़ नहीं है

4 ऐब या ख़राबी क़ुरबानी के जानवर में नहीं होने चाहियें 

1. लंगड़ापन ( पैर में ख़राबी ) : इतना लंगड़ा न हो कि उसका लंगड़ापन ज़ाहिर हो और क़ुरबानी की जगह तक भी न जा सकता हो

2. कानापन ( आँख में ख़राबी ) :  जानवर इतना काना हो कि एक आँख से दिखाई ही न देता हो और उसे चारा दिखाया जाये तो वो देख ही न पाए तो उसकी क़ुरबानी दुरुस्त नहीं

3. बीमार जानवर : ऐसी बीमारी जो ज़ाहिर हो देखने में साफ ज़ाहिर हो रहा हो कि जानवर बीमार है तो उसकी क़ुरबानी दुरुस्त नहीं

4. दुब्ला पतला जानवर : इतना ज़्यादा दुब्ला कि उसकी हड्डियों में गूदा ही न हो और हड्डियाँ साफ़ ज़ाहिर हो रही हों तो क़ुरबानी जाएज़ नहीं, हाँ अगर दुब्ला है लेकिन बहुत ज़्यादा नहीं है तो क़ुरबानी की जा सकती है

Baqrid Men Qurbani Ka Janwar

कुछ और कमियां ज़िक्र की जाती हैं

अगर जानवर के सींग न हों तो

जिस जानवर के पैदाइशी तौर पर सींग न हों या या बीच में से टूट गया हो उस की क़ुरबानी जायज़ है हाँ सींग जड़ से उखड गया हो तो उस जानवर की क़ुरबानी दुरुस्त नहीं

जिस जानवर की दुम कटी हो या कान कटे हों

दुम या कान का अक्सर हिस्सा कटा हुआ हो तो उसकी क़ुरबानी जाएज़ नहीं लेकिन अगर ज़्यादातर हिस्सा बाक़ी है और थोड़ा सा हिस्सा कटा है तो उसकी क़ुरबानी जाएज़ है

जानवर के दांत टूटे हुए हों ?

किसी जानवर के ज़्यादातर टूट गए कि वो चारा भी नहीं खा सकता तो क़ुरबानी जाएज़ नहीं लेकिन अगर वो चारा खा ले तो क़ुरबानी की जा सकती है

खस्सी जानवर की क़ुरबानी जाएज़ है या नहीं ?

खस्सी हो या मजनून दोनों की क़ुरबानी जाएज़ है

क़ुरबानी के जानवर में ऐब क्यों नहीं होना चाहिए ?

जिस तरह जब हम अपने लिए गाड़ी खरीदते हैं तो आगे और पीछे सब चेक करते हैं, हेडलाईट खराब तो नहीं है, एवरेज ठीक दे रही है कि नहीं, और गाड़ी की कंडीशन कैसी है, वगैरह वगैरा तो क़ुरबानी का जानवर जो अल्लाह की बारगाह में पेश किया जाता है तो उसे भी तो बेहतर से बेहतर और मोटा ताज़ा और सही सालिम और ऐब से पाक होना चाहिए

कहीं ऐसा न हो कि कम क़ीमत के चक्कर में कोई बीमार जानवर उठा लाये और नाम करने के लिए क़ुरबानी कर दी तो ऐसा नहीं होना चाहिए ये बात जान लीजिये कि अल्लाह तआला आपकी नियत देखते हैं तो आप अपनी ताक़त के मुताबिक़ बेहतर से बेहतर लायें वरना अल्लाह सब देखने वाला है उसे धोका देने वाला सही मानों में ख़ुद को धोका दे रहा होता है

अल्लाह अमल की तौफ़ीक़ अता फ़रमाए

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