Azan Bacche Ke Kaan Me

Azan Bacche Ke Kaan Me | पैदा होने पैदा होने पर बच्चे के कान में अज़ान क्यूँ दी जाती है ?

Azan Bacche Ke Kaan Me

पैदा होने पर बच्चे के कान में अज़ान क्यूँ दी जाती है ?

हदीस शरीफ़

हज़रात अबू राफे र.अ. फरमाते हैं कि मैंने रसूलुल लाह स.अ. को देखा कि जब हज़रत हसन र.अ. जब हज़रत फातिमा के घर पैदा हुए तो नबी स.अ. ने उनके कान में अज़ान दी |

इसलिए बच्चे की पैदाइश के बाद ये सुन्नत अमल है कि उसके दायें कान में अज़ान और बाएं कान में इक़ामत (नमाज़ से कही जाने वाली तकबीर ) कही जाये |

इसकी क्या हिकमत है ?

अल्लामा इब्ने क़य्यिम र.अ. लिखते हैं इस अज़ान और इक़ामत की हिकमत ये है कि इस तरह बच्चे के कान में सब से पहले जो आवाज़ पहुँचती है वो अल्लाह तआला की बड़ाई और अज़मत वाले अलफ़ाज़ होते हैं जिस के ज़रिये इंसान इस्लाम में दाखिल होता है और इन अल्फ़ाज़ के असरात बच्चे के दिलो दिमाग पर ज़रूर पड़ते हैं अगरचे इन असरात को अभी समझ नहीं पाता है |

Azan Bacche Ke Kaan Me

दूसरी हिकमत

इस की एक और हिकमत बयान की गयी है कि अज़ान से चूंकि शैतान भागता है जो कि इंसान का सब से बड़ा दुश्मन है इस लिए अज़ान कही जाती है कि दुनिया में क़दम रखते ही बच्चे पर पहले पहल शैतान का क़ब्ज़ा न हो |

तीसरी हिकमत

एक हिकमत और है वो ये है कि बच्चे के कान में पैदाइश के बाद अज़ान दी जाती है और दुनिया से रुखसत होने पर नमाज़े जनाज़ा पढ़ी जाती है गोया जैसे आम नमाज़ों के लिए अज़ान दी जाती है और कुछ देर बाद नमाज़ पढ़ी जाती है

इस तरह तमाम इंसानों को ये समझाना मक़सूद होता है कि पैदा होने बाद अज़ान दी गयी है और इस अज़ान के बाद तुम्हारी नमाज़ ( नमाज़े जनाज़ा ) जल्द होने वाली है इसलिए इस थोड़ी सी देर में आख़िरत की तय्यारी करो ताकि मरने के बाद पछताना न पड़े |

आये हुई अज़ान, गए हुई नमाज़

बस इतनी देर का झगडा है ज़िन्दगी क्या है

 

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