Itikaaf Ki niyat Aur Dua | एतिकाफ़ की नियत और दुआ

Itikaaf Ki niyat Aur Dua

एतिकाफ़ की नियत और दुआ

आप ने पिछली पोस्ट में पढ़ा कि एतिकाफ़ रमज़ान की दूसरी इबादतों की तरह एक बहुत अहम इबादत है, और इतनी अहम है कि नबी सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने अपनी जिंदगी में जितने रमज़ान के महीने आये सब में एतिकाफ फ़रमाया |

इससे इस इबादत की अहमियत का पता चलता है, इसलिए हम में से हर शख्स की यह जिम्मेदारी है कि अगर एतिकाफ ना बैठे तो अपने मोहल्ले की मस्जिद में किसी ना किसी को जरूर बिठा दे, क्योंकि अगर कोई ना बैठा तो इसका अज़ाब सबको होगा |

चलिए, इसकी नियत कैसे की जाती है और उस नियत की दुआ क्या है ये भी जान लें

जैसा कि आपको मालूम है कि आखिरी दस दिन का इतिकाफ करने के लिए आपको 20 वें रोज़े का सूरज ढलने से पहले मस्जिद पहुँच जाना है यानि इफ़्तार और मगरिब की नमाज़ वहीं पढनी है, तो जब इसके लिए मस्जिद जाएँ तो पहले नीचे दी गयी एतिकाफ़ की दुआ पढ़ें और फिर मस्जिद में दाखिल होने की दुआ पढ़ें |

दुआ ये है….

itikaf ki niyat aur dua

Dua In Hindi : बिस्मिल्लाहि दखल्तु व अलैहि तवक्कलतु व नवैतु सुन्नतल एतिकाफ़

Translation : अल्लाह के नाम से दाख़िल होता हूँ, और उसी पर भरोसा करता हूँ, और सुन्नत इतिकाफ की नियत करता हूँ

Dua In English : Bismillahi Dakhaltu Wa Alaihi Tawakkaltu Wanawaitu Sunnatal Itikaaf

 

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