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Masnoon Duayen Hindi | 16 दुआयें जिनको लोग ग़लत जगह इस्तेमाल करते हैं

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16 दुआयें जिनको लोग ग़लत जगह इस्तेमाल करते हैं

यक़ीनन दिन भर में कई बार हमारे सामने ऐसी चीज़ें आती हैं जिनपर आप अलग अलग तरह से रिएक्ट करते हैं कभी किसी को देख कर जुबां से तारीफ के अलफ़ाज़ निकलते हैं कभी किसी का शुक्रिया अदा करने के लिए कुछ अलफ़ाज़ निकलते हैं और कभी कोई गुनाह हो जाने पर अल्लाह से माफ़ी के तलबगार होते हैं |

वैसे ही कुछ दुआइया अलफ़ाज़ आज हम आपके सामने पेश करेंगे जिनको आप अपनी रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में शामिल करें और इसलिए इनको ठीक से समझना पड़ेगा क्यूंकि कुछ हमारे साथी इनको ग़लत जगह इस्तेमाल करते हैं तो कब किस जगह इस्तेमाल करना है इसको आप समझ लें |

1.जब भी कोई काम शुरू करें तो कहें

बिस्मिल्लाह

तर्जुमा : अल्लाह के नाम से

अल्लाह के नबी सल्लल लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि “कोई भी काम जो बगैर बिस्मिल्लाह के शुरू किया जाता है वो अधूरा रह जाता है” इसलिए हम अगर अपने कामों में बरकत और खैर को दाखिल करना चाहते हैं तो हमें बिस्मिल्लाह ज़रूर पढ़ना चाहिए |

2. जब किसी काम के करने का वादा या इरादा करें तो कहें

इंशाअल्लाह

तर्जुमा : अगर अल्लाह चाहेंगे

कहने का सही तरीक़ा : जब फ्यूचर में आने वाले वक़्त में कोई काम करने का इरादा या वादा करें तो इंशाअल्लाह, जैसे इंशाअल्लाह मैं ये काम कल कर लूँगा, इंशाअल्लाह मैं आप के पास अगले हफ्ते ज़रूर आऊँगा

ग़लत तरीक़ा : अगर आप पास्ट में या गुज़रे हुए वक़्त में किसी काम की बात कर रहे हों तो वहां पर इंशाअल्लाह नहीं पढेंगे जैसे ये न कहें कि इंशाअल्लाह मैंने ये काम किया था या इंशाअल्लाह मैं कल आपके पास आया था ये ग़लत है

3. जब किसी के अन्दर मौजूद किसी ख़ूबी की तारीफ़ करें

सुब हानल लाह

तर्जुमा : अल्लाह की जात हर ऐब से पाक है

4. जब कोई दुःख या तकलीफ़ पेश आये तो कहें

या अल्लाह

तर्जुमा : ए अल्लाह

तकलीफ़ या मुसीबत में अल्लाह का नाम जुबान से निकलना इस से बढ़ कर और क्या बात हो सकती है क्यूंकि सिर्फ अल्लाह ही इसे टाल सकता है कोई दूसरी ताक़त नहीं |

5. जब किसी चीज़ को पसन्दीदा की निगाहों से देखें तो कहें

माशाअल्लाह

माशा अल्लाह आपका काम बहुत अच्छा है, माशा अल्लाह आपका बेटा बहुत नेक है

6. जब किसी का शुक्रिया अदा करें तो कहें

जज़ाकल लाह

तर्जुमा : अल्लाह तआला आपको इसका बेहतर बदला अता फरमाये

हमारे नबी की हदीस है कि जो लोगों का शुक्र अदा नहीं करता वो अल्लाह का शुक्र अदा नहीं करता इसलिए जब कोई आपका काम कर दे तो चाहे वो काम कितना ही छोटा क्यूँ न हो, हमें उसका शुक्र ज़रूर अदा करना चाहिए, तो जब आपको शुक्रिया अदा करना ही है तो जान लीजिये कि इस का सुन्नत तरीक़ा जज़ाकल लाह है न कि थैंक्यू या शुक्रिया

7. जब नींद से बेदार हों तो कहें

ला इलाहा इल्लल लाह

तर्जुमा : अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लाइक नहीं

8. जब छींक आये तो कहें

अल हम्दुलिल लाह

तर्जुमा : तमाम तारीफ़ें अल्लाह ही के लिए हैं

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9. जब किसी को छींकता हुआ देखें तो कहें

यर हमुकल लाह

तर्जुमा : अल्लाह तुम पर रहम करे

10. जाने अनजाने में कोई गुनाह हो गया तो कहें

अस्तग फ़िरुल लाह

तर्जुमा : मैं अल्लाह अल्लाह से माफ़ी का तलबगार हूँ

या इस्तेग्फार पूरा पढ़ें

11. जब किसी को कोई चीज़ खैरात करें तो कहें

फ़ी सबीलिल लाह

तर्जुमा : अल्लाह के रास्ते में

यानि मैंने अल्लाह के राते में दे दी ए अल्लाह तू इस को क़ुबूल कर ले

12. जब किसी को रुखसत करें तो कहें

फ़ी अमानिल लाह

तर्जुमा : अल्लाह की हिफ़ाज़त में

कोई अपना या पराया कहीं जा रहा हो सफ़र पर या और कहीं, तो उसको रुखसत करने और जुदा होने से पहले उसे अल्लाह की हिफ़ाज़त में दे दें |

13. जब कोई मुसीबत या मुश्किल पेश आये तो कहें

तवक्कलतू अलल लाह

तर्जुमा : मैंने अल्लाह पर भरोसा किया

14. जब कोई नापसंदीदा कालिमात कहे हो या किसी को कहते हुए सुने हो तो कहें

नउजु बिल लाह

तर्जुमा : मैं अल्लाह की पनाह चाहता हूं

15. जब किसी की मौत या इन्तेक़ाल के बारे में सुने तो कहें

इन्ना लिल लाह व इन्ना इलैहि रजि ऊन

तर्जुमा : हम अल्लाह ही के हैं और हमें अल्लाह ही की तरफ पलट कर जाना है

16. कोई नेअमत हासिल हो तो कहें

अल्हम्दुलिल लाह

तर्जुमा : तमाम तारीफें अल्लाह ही के लिए हैं

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