2 Aurton Ka Roza Haram Hai

2 Aurton Ka Roza Haram Hai | 2 औरतों का रोज़ा रखना हराम है ?

2 Aurton Ka Roza Haram Hai |

2 औरतों का रोज़ा रखना हराम है ?

रमज़ान अपनी पूरी आबो ताब के साथ चला आ रहा है और हम सबको रमज़ान में रोज़े रखना है लेकिन आज हम 2 ऐसी औरतों के बारे में बताएँगे जिनका रमज़ान में रोज़ा रखना हराम है अगर ऐसी औरत रोज़ा रखती है तो बजाये सवाब के अज़ाब होगा क्यूंकि अगर रोज़ा रखने का हुक्म दिया गया है तो रोका भी गया है

ये जान लीजिये कि हर मुसलमान मर्द और औरत पर जो आक़िल हो, बालिग़ हो, होशो हवास में हो उसका रमज़ान के रोज़े रखना फ़र्ज़ है (1) आक़िल यानि अक्लमंद हो पागल न हो (2) बालिग़ होना यानि जो लड़का बालिग़ नहीं हुआ उस पर रोज़ा फ़र्ज़ नहीं (3) होश में होना बेहोश शख्स पर या जो अपने अपने होशो हवास में न हो उस पर रोज़ा फ़र्ज़ नहीं

इसके अलावा रोज़े की फर्ज़ियत के लिए दो शर्तें हैं (1) सेहत और तंदुरुस्त होना (2) मुकीम होना यानि अगर कोई बीमार है तो उसे रोज़ा छोड़ देने की छूट है और अगर कोई सफ़र की हालत में है तो उसे भी रोज़ा छोड़ देने की इजाज़त है लेकिन बाद में क़ज़ा करना ज़रूरी है

तो अब हम बात करें उन 2 औरतों की जो रोज़ा नहीं रख सकतीं चाहे रमज़ान हो या ग़ैर रमज़ान में, अगर ये रोज़ा रखती हैं तो अव्वल तो इनका क़ुबूल नहीं होगा दुसरे रोकने के बावुजूद रोज़ा रखने पर सवाब के बजाय सवाब होगा

2 औरतें जिन का रोज़ा रखना हराम है ?

1. हैज़ वाली औरत

सब से पहली वो औरत जिसके पीरियड्स आ रहे हों और वो हैज़ की हालत में हो माहवारी आ रही हो तो ऐसी औरत का रोज़ा रखना हराम है क्यूंकि हैज़ वाली औरत का रोज़ा रखना और नमाज़ पढ़ना हराम और ना जाएज है

क्या हैज़ वाली औरत छूटे हुए रोज़े रखेगी ?

रमज़ान में औरत के हैज़ आ रहाहो तो वो रोज़े नहीं रखेगी बल्कि जब वो उस से पाक व साफ़ हो जाये तो उन तमाम छूटे हुए रोज़ों की क़ज़ा करना ज़रूरी है

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2. निफ़ास वाली औरत

दूसरी औरत जिसका रोज़ा रखना हराम है वो है जिसको निफ़ास का खून आ रहा हो अब अगर आप पूछेंगे कि निफ़ास क्या है ? तो मैं आप को बता दूं कि बच्चे की पैदाइश के बाद औरत को जो खून आता है उसी को निफ़ास कहते हैं तो निफ़ास वाली औरत को भी रोज़ा रखने से मना किया गया है इसलिए ऐसी औरतों को रोज़ा नहीं रखना चाहिए

क्या हैज़ वाली औरत छूटे हुए रोज़े रखेगी ?

हाँ ! बिलकुल रखेगी, नापाकी के दिनों में जितने भी रोज़े उसके छूटे हैं वो सारे रोज़े उसको बाद में क़ज़ा करने होंगे वरना इन छूटे हुए रोजों का बोझ उसके सर पर होगा

हैज़ निफ़ास वाली रोज़े क्यूँ नहीं रख सकती ?

इस्लाम में नमाज़ और रोज़े को अदा करने के लिए पाक और साफ़ होना ज़रूरी है लेकिन औरत को जब हैज़ या निफ़ास का खून आ रहा होता है तो उस वक़्त वो पाक नहीं होती इसलिए उसको इस हालत में नमाज़ और रोज़े रोका गया है और तकरीबन हर औरत इन हालत से गुज़रती है तो औरतों को चाहिए कि जब वो इस हाल में हों तो नमाज़ और रोज़ा न करें बल्कि जब पाक हो जाएँ तो उसकी क़ज़ा करें

अल्लाह अमल की तौफ़ीक़ अता फरमाए,

आमीन 

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