5 Namazen Hi Kyun | फ़र्ज़ नमाज़ें पांच ही क्यूँ हैं इस में क्या हिकमत है ?

5 namazen

5 Namazen Hi Kyun

फ़र्ज़ नमाज़ें पांच ही क्यूँ हैं इस में क्या हिकमत है ?

जैसा कि अल्लाह तआला का कोई भी काम हिकमत से खाली नहीं होता इसी तरह 5 नमाज़ें भी भी कोई न कोई हिकमत रखती हैं और सही बात तो अल्लाह ही को मालूम है लेकिन एक लिखने वाले ने कुछ हिकमतें लिखी हैं जिन्हें ज़रूर पढ़ना चाहिए |

पहली हिकमत

जब नबी करीम स.अ. मेराज के लिए तशरीफ़ ले गए तो अल्लाह तआला ने मुहम्मद स.अ. की उम्मत पर पचास नमाज़ों का तोहफ़ा अता फ़रमाया लेकिन फिर नबी स.अ. की सिफ़ारिश पर 45 नमाज़ें घटा कर सिर्फ़ 5 कर दी गयीं मगर एक उसूल बना दिया कि जो एक नेकी लायेगा उसे दस गुना सवाब दिया जायेगा अब अल्लाह त आला की रहमत का अंदाज़ा लगाइए कि लोग नमाज़ सिर्फ़ 5 पढ़ते हैं लेकिन सवाब 50 का मिलता है |

अब नमाज़ के पांच होने से एक फ़ायदा ये हुआ ज़्यादा लोग नमाज़ी बन गए वरना 50 नमाज़ें हर किसी के लिए आसान न थीं |

दूसरी हिकमत

इन्सानी ज़िन्दगी में अल्लाह की दी गयी नेअमतों में से 5 हैं जो बिलकुल ज़ाहिर हैं

(1)  खाना पीना

(2) लिबास

(3) मकान

(4) बीवी बच्चे

(5) सवारी

तीसरी हिकमत

हज़रत अली रज़ियल लाहू अन्हु फरमाते हैं कि जिस शख्स को पांच नेअमतें मिल गयीं तो समझ लो दुनिया की सब नेअमतें मिल गयी

(1) शुक्र करने वाली जुबान

(2) ज़िक्र करने वाला दिल

(3) मशक्क़त उठाने वाला बदन

(4) नेक बीवी

(5) आसान रोज़ी

 

चौथी हिकमत

इन्सानी ज़िन्दगी की ये 5 हालतें ही मुमकिन हैं

(1) खड़ा होना

(2) बैठना

(3) लेटना

(4) जागना

(5) सोना

इन पाँचों हालतों में इन्सान पर अल्लाह की रहमतों और नेअमतों की बारिश होती रहती है अगर इन्सान हर नेअमत का हक़ अदा कंरना चाहे तो वो हक अदा कर ही नहीं सकता | अल्लाह तआला ने 5 नमाज़ें फ़र्ज़ फरमा दीं | अब जो शख्स इन पाँचों नमाज़ों की पाबंदी करेगा वो ज़िन्दगी की हर हालत में होने वाली अल्लाह की नेअमतों का शुक्र अदा करने वाला बन जायेगा |

पांचवी हिकमत

इन्सान के जिस्म में 5 तरह के अहसास होते हैं

(1) देखने का अहसास

(2) सुनने का अहसास

(3)  सूंघने का अहसास

(4) चखने का अहसास

(5) छूने का अहसास

 

छठी हिकमत

शरीअत में गन्दगी से पाकी हासिल करने वाले गुस्ल पांच हैं

(1) जनाबत का गुस्ल ( नापाक होने के बाद पाकी का गुस्ल )

(2) हैज़ का गुस्ल ( माहवारी के बाद गुस्ल )

(3) निफ़ास का गुस्ल ( बच्चे की पैदाइश के बाद आने वाला खून बंद होने के बाद का गुस्ल )

(4) इस्लाम लाने का गुस्ल

(5) मय्यत का गुस्ल

ये 5 गुस्ल हर क़िस्म की ज़ाहिरी गन्दगी को दूर करने के लिए काफी हैं और 5 नमाज़ें हर क़िस्म की अंदरूनी गन्दगी को दूर करने के लिए काफ़ी हैं

बुखारी शरीफ़ की रिवायत में है कि नबी करीम स.अ. ने फ़रमाया : पांच नमाज़ों की मिसाल एक ऐसी नहर की तरह है जो मोमिन के घर के सामने जारी हो और फिर वो मोमिन उस में रोज़ाना पांच बार गुस्ल करे क्या उस के जिस्म पर कोई मैल बाक़ी रह सकता है ? सहाबा ने अर्ज़ किया बिलकुल नहीं तो नबी करीम स.अ. ने फ़रमाया : इसी तरह जो शख्स 5 नमाज़ें अदा करता है उस के जिम्मे गुनाहों का मैल कुचैल बाक़ी नहीं रहता |

सातवीं हिकमत

इन्सान की दुनियावी ज़िन्दगी ख़त्म होने पर उसे पांच मुसीबतों का सामना करना पड़ेगा

(1) सकराते मौत ( मौत के वक़्त आने वाला नशा )

(2) कब्र का अज़ाब

(3) जब आमालनामा हाथ में दिया जायेगा

(4) पुल सिरात से गुज़रना

(5) जन्नत के दरवाज़े से गुज़रना

जो शख्स 5 नमाज़ों को अदा करे अल्लाह त आला उसकी इन 5 मुसीबतों को आसान फरमा देंगे

 

नोट : अगर ये इनफार्मेशन आपको पसंद आए तो इसको नीचे दिए गए शेयरिंग बटन से शेयर ज़रूर करें | अल्लाह आपका और हमारा हामी व मददगार हो 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *