Nikah Me Barkat:
बरकत वाला निकाह कैसे करें? 5 ज़रूरी बातें
निकाह (Nikah) और शादी की तैयारी करते वक़्त आम तौर से आपने देखा होगा कि ज़्यादातर लोग एक ही चीज़ पर फोकस करते हैं – तारीख़, खर्च, कपड़े और दावत, यानि निकाह का दिन शुरू कैसे किया जाये इस पर ही ध्यान लगाते हैं लेकिन बहुत कम लोग ऐसे हैं जिनका ध्यान इस पर होता है कि सिर्फ़ रिश्ते की शुरुआत ही अच्छी न हो, बल्कि ये अच्छाई हमेशा इस रिश्ते में बनी रहे और इस Nikah Me Barkat बरकत उतरती रहे |
और हक़ीक़त भी यही है कि निकाह कोई एक दिन का अमल नहीं, बल्कि पूरी ज़िंदगी का सफ़र है।अगर शुरुआत सही हो, तो मुश्किलें भी आसान लगने लगती हैं। और अगर शुरुआत में ही कुछ बातें नज़रअंदाज़ कर दी जाएँ, तो छोटी-छोटी चीज़ें आगे चलकर बड़ी परेशानी बन जाती हैं।
तो इसलिए इस पोस्ट में आपको कोई भारी-भरकम नसीहतें नहीं मिलेंगी। बस! यहाँ निकाह से पहले ध्यान रखने वाली और Nikah Me Barkat लाने वाली 5 ज़रूरी बातें शेयर की गई हैं, जो निकाह को सिर्फ़ रस्म नहीं, बल्कि एक मजबूत और मक़सद भरा रिश्ता बनाने में मदद करेंगी। और जो इस रिश्ते को बोझ नहीं, बल्कि रहमत, सुकून और बरकत बना देंगी। तो चलिए शुरू करते हैं|

Nikah Me Barkat: बरकत वाला निकाह कैसे करें? 5 ज़रूरी बातें
अगर आपके दिमाग़ में है कि ऐसा निकाह कैसे करें जो सच में बरकत वाला हो? तो उसके लिए यहाँ पर पाँच reminders हैं:
1. निकाह को सादा रखें, दिखावे से बचें
चाहे अमीर हो या ग़रीब, इस्लाम ने जिस तरह हर काम में सादगी को पसंद किया है, ठीक वैसे ही यहाँ पर भी हमारे प्यारे नबी हज़रत मुहम्मद (स.अ.) ने simplicity और सादगी को पसंद किया। क्यूंकि फुज़ूल खर्ची और दिखावे से बरकत चली जाती है। और अगर बरकत जाती है तो नहूसत आती है जो दोनों के रिश्ते को नुक़सान और तकलीफ़ पहुंचाती है इसलिए किसी से कोई मुक़ाबला न करें, क्यूंकि शादी कोई competition नहीं बल्कि ये दो रूहों की ज़िन्दगी की एक नई शुरुआत है, इसलिए निकाह को आसान रखें, हल्का रखें और दिल से करें… बरकत खुद-ब-खुद उतरती जाएगी।
2. सिर्फ़ शक्ल और कमाई नहीं, सोच भी मिलनी चाहिए
अक्सर क्या होता है कि लोग लड़की की शक्ल सूरत देखते है और लड़के की कमाई देखते हैं अगर वो ठीक है तो ओके कर देते हैं, लेकिन यहाँ पर ये भी ध्यान रखें कि सारी ज़िन्दगी गुज़ारने के लिए लड़के की कमाई और लड़की की शक्ल सूरत काफी नहीं है, और शादी सिर्फ़ अच्छे चेहरे या अच्छी कमाई पर नहीं चलती | बल्कि ये भी देखना चाहिए कि उनमें अख़लाक़ कैसे हैं, और दीन के मामले में वो कैसे हैं, उनकी सोच और रहन–सहन आप से मैच करता है कि नहीं,
क्यूंकि इन चीज़ों में अगर compatibility नहीं है तो आगे ज़िन्दगी में मुश्किलें आ सकती है, अब अगर लड़के की सोच पूरब साइड की है और लड़की की पश्चिम की है, तो ज़ाहिर है पूरी ज़िन्दगी गुज़ारना मुश्किल में डाल सकता है, इसलिए सिर्फ एक-दूसरे को देख कर पसंद कर लेना ही काफी नहीं है, बल्कि आपस में values, deen, lifestyle और सोच match मैच करती हों तो ज़िन्दगी बहुत आसान हो जाती है।
3. मियां-बीवी के हक़ और ज़िम्मेदारियाँ समझ लें
मियां हों या बीवी Islam ने दोनों के हक़ूक़ (rights) और ज़िम्मेदारियाँ (responsibilities) बहुत खूबसूरती से define किए हैं। हर Muslim couple को इन्हें ज़रूर जानना और समझना चाहिए क्यूंकि निकाह के बाद ज़िन्दगी तभी खूबसूरत बनती है जब दोनों अपने हक़ और ज़िम्मेदारियाँ समझकर निभाएँ।
और इस्लाम ने मियां-बीवी के roles बहुत प्यार से तय किए हैं: कौन किस की मदद करेगा, कौन क्या rights रखता है, और कैसे एक-दूसरे का खयाल रखेगा वगैरह वगैरह, तो आप ख़ुद गौर कीजिये! कि जब दोनों partners यह सोचने लगते हैं कि “मैं अपने साथी के लिए क्या कर सकता हूँ?” तो रिश्ता खुद-ब-खुद आसान और मोहब्बत से भरपूर हो जायेगा या नहीं।
4. एक-दूसरे के लिए दुआ करें
जब आप अपने हमसफ़र के लिए दिल से दुआ करते हैं, उनकी खुशी, उनके सुकून, उनके ईमान और उनके फ्यूचर के लिए, तो अल्लाह इस रिश्ते में रहमतें और बरकतें डाल देते हैं। फिर ये रिश्ता सिर्फ़ रिश्ता नहीं रह जाता बल्कि एक इबादत बन जाता है जब दोनों एक-दूसरे के लिए दुआ करने वाले बन जाएँ। क्यूंकि दुआ रूहों को जोड़ती है, दिलों को नरम करती है और रिश्ते को और मजबूत बना देती है।
5. एक-दूसरे का लिबास बनें, राज़ न खोलें
एक बहुत ही अहम् बात : इस्लाम में मियां-बीवी एक दूसरे का लिबास हैं, ये कहने का मतलब ये है कि जिस तरह लिबास गर्मी और सर्दी से बचाता है, शर्मगाह को छुपाता है और आपकी presence को ख़ूबसूरत बनाता है, ठीक इसी तरह मियां बीवी
• ग़ुस्से में भी एक दुसरे के राज़ न खोलें
• एक-दूसरे की इज़्ज़त की हिफ़ाज़त करें
• कमियों को दुनिया से छुपाएँ
यही असली और सच्चे निकाह का मतलब है जिससे बरकतें उस घर पर अपना साया जमाने लगती हैं।
दुनिया के हर कोने में – निकाह एक जैसा
आप दुनिया के किसी भी कोने में चले जाएँ India, UK, US, Middle East या Africa- हर जगह निकाह का पैग़ाम (message) एक जैसा मिलेगा:
मोहब्बत + रहमत + ज़िम्मेदारी = निकाह
निकाह perfect life का वादा नहीं करता, लेकिन perfect रास्ता ज़रूर देता है। निकाह कोई पूरी तरह बे-ऐब ज़िन्दगी का वादा नहीं करता, लेकिन बे-ऐब रास्ता ज़रूर देता है। और इस सफ़र में:
• कभी मुस्कुराहट और हँसी होगी
• कभी आँसू होंगे
• कभी इम्तिहान (challenges)
लेकिन हर मोड़ पर अल्लाह की रहमत है, बस नियत सच्ची हो, और दिलों में एक-दूसरे के लिए खैरख्वाही हो।
आख़िरी बात: निकाह सिर्फ़ रस्म नहीं, एक नेअमत है
निकाह सिर्फ़ महफ़िल (function), दावत या सजावट (decoration) का नाम नहीं बल्कि यह है:
• दिलों का सुकून
• घर की बरकत
• इबादत का रास्ता
• और दो रूहों का मिलकर आगे बढ़ने का सफर
अल्लाह तआला हर मुस्लिम जोड़े के निकाह में सुकून, मोहब्बत और रहमत नाज़िल फ़रमाए
आमीन

