Surah An-Nazi’at Hindi Translation |
सूरह नाज़िआत का तरजुमा व तफ़सीर
Surah An-Nazi’at (सूरह नाज़िआत) में 46 आयतें और 2 रुकू हैं और ये सूरह मक्का में नाज़िल हुई थी तो आज इस सूरह का हिन्दी में तरजुमा और तफ़सीर इस पोस्ट में Surah An-Nazi’at Hindi Translation बयान किया जायेगा, इस से पहले कई सूरतों की तफ़सीर और तरजुमा बयान किया जा चूका है आप इस लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं |
अऊज़ु बिल लाहि मिनश शैतानिर रजीम
बिस्मिल लाहिर रहमानिर रहीम
(1) وَالنَّازِعَاتِ غَرْقًا
Hindi : वन नाज़िआति ग़रक़ा
Translation : उन फ़रिश्तों की क़सम जो (काफ़िरों की रूह) सख्ती से खींचते हैं
(2) وَالنَّاشِطَاتِ نَشْطًا
Hindi : वन ना शिताति नश्ता
Translation : और जो (मोमिनों की रूह की) गिरह आसानी से खोल देते हैं
(3) وَالسَّابِحَاتِ سَبْحًا
Hindi : वस साबिहाति सब्हा
Translation : और फिर (फ़ज़ा में) तैरते हुए जाते हैं।
(4) فَالسَّابِقَاتِ سَبْقًا
Hindi : फस् साबिक़ाति सब्क़ा
Translation : तो तेज़ी से आगे बढ़ते हैं
(5) فَالْمُدَبِّرَاتِ أَمْرًا
Hindi : फलमुदब्बिराति अमरा
Translation : फिर जो हुक्म मिलता है उसको (पूरा करने) में लग जाते हैं
Surah An-Nazi’at Hindi Translation
पहली 5 आयतों में फ़रिश्तों की क़सम खायी गयी है उन की ड्यूटियों और काम का हवाला देकर
1. पहली आयत में उन फ़रिश्तों की क़सम खायी गयी है जो ईमान न लाने वालों की जान निकालते हैं जिसमें सख्ती और तकलीफ़ से ऐसा लगता है किसी चिपकी हुई चीज़ को खींचा जा रहा है
2. दूसरी आयत में उन फ़रिश्तों की क़सम खायी गयी है ईमान वालों की जान निकलते हैं इतनी आसानी से जैसे कोई गिरह खोल दी हो
3. तीसरी आयत में उन फ़रिश्तों की क़सम खायी गयी है जो मोमिनों की रूहों को लेकर तेज़ी से आसमानों की तरफ़ लेकर जाते हैं और उनका चलना तैरने की तरह होता है
4. चौथी आयत में उन फ़रिश्तों का ज़िक्र है जो अल्लाह के हुक्मों को पूरा करने के लिए एक दुसरे से आगे बढ़ने की कोशिश करते हैं
5. पांचवीं आयत में उन फ़रिश्तों का ज़िक्र है जिनको कई कामों की तदबीर करने और उनको पूरा करने का ज़िम्मेदार बनाया गया है
नोट : अल्लाह तआला को अपनी बात का यक़ीन दिलाने के लिए क़सम खाने की ज़रुरत नहीं है लेकिन अरब में अपनी बात जो आगे करने वाले हैं उस में ज़ोर पैदा करने के लिए पहले क़सम खाते थे
(6) يَوْمَ تَرْجُفُ الرَّاجِفَةُ
Hindi : यौमा तरजुफुर्-राजिफ़ह
Translation : (कि वो दिन आकर रहेगा) जिस दिन ज़लज़ला आयेगा
आयत न. 6 : फिर क़सम खाकर क़यामत का ज़िक्र किया गया है कि क़यामत का ज़लज़ला हर चीज़ को हिला कर रख देगा इसका मतलब यहाँ पर पहला सूर फूंका जायेगा तो हर जानदार को मौत आ जाएगी सब मर जायेंगे
(7) تَتْبَعُهَا الرَّادِفَةُ
Hindi : तत्बउहर् रादिफ़ह
Translation : फिर एक ज़लज़ले के बाद दूसरा ज़लज़ला आयेगा
आयत न. 7 : इसके बाद दूसरा सूर फूंका जायेगा तो सब ज़िन्दा होकर हश्र के मैदान में जमा होने लगेंगे (यहाँ पर ज़लज़ले का मतलब सूर है )
(8) قُلُوبٌ يَوْمَئِذٍ وَاجِفَةٌ
Hindi : क़ुलूबुय यौ-मइज़िव वाजिफ़ह
Translation : कितने ही दिल उस दिन काँप रहे होंगे
(9) أَبْصَارُهَا خَاشِعَةٌ
Hindi : अब्सारुहा ख़ाशिअह
Translation : और उनकी नज़रें झुकी हुई होंगी।
(10) يَقُولُونَ أَإِنَّا لَمَرْدُودُونَ فِي الْحَافِرَةِ
Hindi : यक़ूलूना अइन्ना लमर दूदूना फिल्हा फ़िरह
Translation : काफ़िर लोग कहते हैं कि : क्या हम पहली वाली हालत में फिर लौटा दिए जाएंगे?
(11) أَإِذَا كُنَّا عِظَامًا نَّخِرَةً
Hindi : अइज़ा कुन्ना इज़ामन नाख़िरह
Translation : क्या उस वक़्त भी (दोबारा ज़िन्दा किये जायेंगे) जब हम खोखली हड्डियाँ हो जाएंगे?
(12) قَالُوا تِلْكَ إِذًا كَرَّةٌ خَاسِرَةٌ
Hindi : क़ालू तिल्का इज़न कर्रतुन ख़ासिरह
Translation : वो कहेंगे: अगर ऐसा हुआ तो ये वापसी बड़ी नुक़सान दह साबित होगी
आयत न. 10 से 12 तक : ईमान न लाने वाले मज़ाक़ में कहते थे कि मिट्टी में मिल जाने के बाद क्या हमें फिर से ज़िन्दा किया जायेगा ये बात तो बिलकुल समझ में नहीं आती लेकिन अगर ऐसा हो गया तो हमारा बड़ा नुक़सान हो जायेगा क्यूंकि हम इसके लिए तैयार नहीं हैं
(13) فَإِنَّمَا هِيَ زَجْرَةٌ وَاحِدَةٌ
Hindi : फ़इन्नमा हिया ज़ज् रतुव वाहिदह
Translation : हक़ीक़त तो ये है कि वो बस एक ज़ोर की आवाज़ होगी
(14) فَإِذَا هُمْ بِالسَّاهِرَةِ
Hindi : फ़इज़ा हम बिस्सा हिरह
Translation : जिस के बाद वो अचानक एक खुले मैदान में होंगे
आयत न. 13 से 14 : यानि जिसको वो मुश्किल समझ रहे थे क़यामत का आना और इंसानों का दोबारा ज़िन्दा किया जाना वो अल्लाह के लिए कितना आसान है कि एक ही चीख़ काफ़ी होगी और सारे मुर्दे जी उठेंगे
(15) هَلْ أَتَاكَ حَدِيثُ مُوسَىٰ
Hindi : हल अताका हदीसु मूसा
Translation : (ए पैगम्बर) क्या तुम्हारे पास मूसा की खबर पहुंची ?
(16) إِذْ نَادَاهُ رَبُّهُ بِالْوَادِ الْمُقَدَّسِ طُوًى
Hindi : इज़ नादाहु रब्बुहू बिल्वादिल मुक़द्दसि तुवा
Translation : जब उनको उनके परवरदिगार ने तुवा नाम की मुक़द्दस वादी में पुकारा।
(17) اذْهَبْ إِلَىٰ فِرْعَوْنَ إِنَّهُ طَغَىٰ
Hindi : इज़्हब् इला फिरऔना इन्नहू तग़ा
Translation : कि फ़िरऔन के पास जाओ, उसने बहुत सरकश मचा रखी है।
(18) فَقُلْ هَل لَّكَ إِلَىٰ أَن تَزَكَّىٰ
Hindi : फ़क़ुल् हल् लका इला अन तज़क्का
Translation : और उस से कहो: क्या तू चाहता है कि तू पाक-साफ़ हो जाए?
(19) وَأَهْدِيَكَ إِلَىٰ رَبِّكَ فَتَخْشَىٰ
Hindi : व-अह्दि यका इला रब्बिका फतख़्शा
Translation : और ये कि मैं तुझे तेरे रब का रास्ता दिखाऊँ, तो तुम्हारे दिल में खौफ़ पैदा हो जाये |
(20) فَأَرَاهُ الْآيَةَ الْكُبْرَىٰ
Hindi : फ़-अराहुल् आ-यतल कुबरा
Translation : फिर मूसा अ.अ. ने उसको बड़ी निशानी दिखाई।
(21) فَكَذَّبَ وَعَصَىٰ
Hindi : फकज्ज़बा व-अस़ा
Translation : फिर भी उसने उन्हें झुटलाया और और कहना नहीं माना
(22) ثُمَّ أَدْبَرَ يَسْعَىٰ
Hindi : सुम्मा अदबरा यसआ
Translation : फिर साजिशें करते हुए पीठ फेर कर चल दिया
(23) فَحَشَرَ فَنَادَىٰ
Hindi : फ-ह-शर फ़नादा
Translation : फिर सब को इकट्ठा किया और आवाज़ लगाई।
(24)فَقَالَ أَنَا رَبُّكُمُ الْأَعْلَىٰ
Hindi : फ़क़ाला अना रब्बुकुमुल अअला
Translation : और कहा: “मैं ही तुम्हारा सबसे बड़ा रब हूँ।”
(25) فَأَخَذَهُ اللَّهُ نَكَالَ الْآخِرَةِ وَالْأُولَىٰ
Hindi : फ़अख़ ज़हुल्लाहु नकालल आख़िरति वल ऊला
Translation : तो नतीजा ये हुआ कि अल्लाह ने उसे दुनिया आख़िरत दोनों की इबरतनाक सज़ा में पकड़ लिया।
(26) إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَعِبْرَةً لِّمَن يَخْشَىٰ
Hindi : इन्न फ़ी ज़ालिका लइब रतल लिमै यख़्शा
Translation : हक़ीक़त ये है कि इस वाक़िये में उस शख्स के लिए इबरत है जो अल्लाह का खौफ़ दिल में रखता हो
आयत न. 15 से 26 : यहाँ पर “तुवा” का मतलब वो वादी है जिसमें अल्लाह तआला ने हज़रत मूसा अ.स. से बात की और उनको पैगम्बर बनाया अब चूंकि क़यामत का ज़िक्र हो रहा है इसलिए इन आयतों में इबरत के तौर पर फ़िरऔन का वाक़िया और उसका अन्जाम पेश कर दिया गया जो क़यामत का इनकार करता था
(27) أَأَنتُمْ أَشَدُّ خَلْقًا أَمِ السَّمَاءُ ۚ بَنَاهَا
Hindi : अ-अन्तुम अशद्दु ख़ल्क़न अमिस समाउ बनाहा
Translation : (इंसानों) क्या तुम्हें पैदा करना मुश्किल है या आसमान को, जिसे अल्लाह ने बनाया?
(28) رَفَعَ سَمْكَهَا فَسَوَّاهَا
Hindi : र-फ़आ सम्कहा फ़-सव्वाहा
Translation : उसने उसकी छत को बुलंद किया फिर बराबर कर दिया |
(29) وَأَغْطَشَ لَيْلَهَا وَأَخْرَجَ ضُحَاهَا
Hindi : व-अग़तशा लै-लहा व-अख़रजा दुहाहा
Translation : और उसकी रात को तारीक़ बनाया और (दिन में) धूप निकाली।
(30) وَالْأَرْضَ بَعْدَ ذَٰلِكَ دَحَاهَا
Hindi : वल अरदा बाअ’दा ज़ालिका दहाहा
Translation : और उसके बाद ज़मीन को बिछा दिया।
(31) أَخْرَجَ مِنْهَا مَاءَهَا وَمَرْعَاهَا
Hindi : अखराजा मिन्हा मा-अहा वमर आहा
Translation : और उसमें से उसका पानी और चारा निकाला।
(32) وَالْجِبَالَ أَرْسَاهَا
Hindi : वल जिबाला अरसाहा
Translation : और पहाड़ों को मज़बूती से गाड़ दिया।
(33) مَتَاعًا لَّكُمْ وَلِأَنْعَامِكُمْ
Hindi : मताअल लकुम वलि अनआमिकुम
Translation : और (ये सब) तुम्हारे और तुम्हारे चौपायों के लिए फ़ायदेमंद हैं।
(34) فَإِذَا جَاءَتِ الطَّامَّةُ الْكُبْرَىٰ
Hindi : फ़इज़ा जा-अतित ताम मतुल कुबरा
Translation : फिर वो सब से बड़ा हंगामा बरपा होगा (क़यामत)!
(35) يَوْمَ يَتَذَكَّرُ الْإِنسَانُ مَا سَعَىٰ
Hindi : यौम यतज़क्करुल इन्सानु मा सआ
Translation : जिस दिन इंसान को अपना सब किया धरा याद आ जायेगा
आयत न. 27 से 35 : अरब के काफ़िर लोग मरने के बाद दोबारा ज़िन्दा होने का इनकार करते थे ,और उसकी वजह ये थी कि वो किसी मुर्दे के ज़िन्दा होने को बहुत मुश्किल समझते थे तो इसीलिए यहाँ पर अल्लाह तआला फ़रमा रहे हैं कि कायनात की दूसरी चीज़ों जैसे आसमान के मुकाबले में इंसान को पैदा करना ज़्यादा आसान है और अगर तुम मानते हो कि आसमान अल्लाह तआला ने पैदा फ़रमाया है तो इंसान को दोबारा पैदा करना उसके लिए क्या मुश्किल है ?
(36) وَبُرِّزَتِ الْجَحِيمُ لِمَن يَرَىٰ
Hindi : वबुर्रि ज़तिल जह़ीमु लिमै यरा
Translation : और दोज़ख़ देखने वाले को साफ़ दिखाई जाएगी
आयत न. 36 : यानि अभी तो दोज़ख़ नज़रों से ओझल है लेकिन उस दिन हर शख्स अपनी आँखों से देख लेगा
(37) فَأَمَّا مَن طَغَىٰ
Hindi : फ़अम्मा मन तग़ा
Translation : तो जिसने सरकशी की।
(38) وَآثَرَ الْحَيَاةَ الدُّنْيَا
Hindi : व-आसरल हयातद दुन्या
Translation : और दुनिया की ज़िंदगी को (आख़िरत पर) तरजीह दी
(39) فَإِنَّ الْجَحِيمَ هِيَ الْمَأْوَىٰ
Hindi : फ़इन्नल जह़ीम हियल-मअ’वा
Translation : तो यक़ीनन जहन्नम ही उसका ठिकाना होगा।
आयत न. 37 से 39 : सारे गुनाहों की जड़ यही है कि इंसान दुनिया को आख़िरत पर तरजीह देने लगता है यानि दुनिया को पहले नंबर पर और आख़िरत को दुसरे नंबर पर रखता है, और जब ये मिज़ाज बन जाता है तो वो अल्लाह के हक़ अदा नहींकर पाता है और हुक्मों को पूरा नहीं कर पाता है और बन्दों के हक़ न देने और उनके हक़ छीन लेने में कोई उसे कोई अफ़सोस नहीं होता है क्यूंकि अगर आखिरत से डरता तो ये सब न करता लेकिन उसने दुनिया को ही सब कुछ समझ रखा है |
(40) وَأَمَّا مَنْ خَافَ مَقَامَ رَبِّهِ وَنَهَى النَّفْسَ عَنِ الْهَوَىٰ
Hindi : व-अम्मा मन ख़ा-फ़ मक़ाम रब्बिही व-नहन नफ़्स अनिल हव़ा
Translation : और जो शख्स अपने रब के सामने खड़े होने से डरता रहा और अपने नफ़्स को बुरी ख्वाहिशात से रोका।
(41) فَإِنَّ الْجَنَّةَ هِيَ الْمَأْوَىٰ
Hindi : फ़इन्नल जन्नत हियल मअ’वा
Translation : तो जन्नत ही उसका ठिकाना होगी ।
आयत न. 40 से 41 : सारे दीन और इस्लाम का ख़ुलासा यही है कि इंसान के अन्दर अल्लाह का खौफ़ पैदा हो जाये और अपनी नफ्स को क़ाबू में रखे और नफ्स को क़ाबू में सिर्फ़ अल्लाह का खौफ़ ही कर सकता हैअगर किसी के अन्दर अल्लाह का खौफ़ न हो तो वो दिन कि रौशनी में तो अपनी बेजा ख्वाहिशों को कंट्रोल कर लेगा लेकिन रात की तारीकी में और तन्हाई में वो गुनाहों से नहीं रुकेगा |
(42) يَسْأَلُونَكَ عَنِ السَّاعَةِ أَيَّانَ مُرْسَاهَا
Hindi : यसअलू नका अनिस्साअति ऐयाना मुरसाहा
Translation : लोग तुमसे क़यामत के आने का वक़्त पूछते हैं?
(43) فِيمَ أَنتَ مِن ذِكْرَاهَا
Hindi : फीमा अन्त मिन् ज़िकराहा
Translation : आपको इस बात के ज़िक्र से क्या लेना देना
(44) إِلَىٰ رَبِّكَ مُنتَهَاهَا
Hindi : इला रब्बिका मुन्तहाहा
Translation : उसका इल्म तो आपके परवरदिगार पर ही ख़त्म है।
आयत न. 42 से 44 : यानि अल्लाह तआला के अलावा किसी को भी क़यामत के आने का सही वक़्त मालूम नहीं है
(45) إِنَّمَا أَنتَ مُنذِرُ مَن يَخْشَاهَا
Hindi : इन्नमा अन्ता मुनज़िरु मै यख़्शाहा
Translation : आप तो सिर्फ़ उसे डराने वाले हैं जो क़यामत से डरता है
आयत न. 45 : यानि आप का काम क़यामत के आने से पहले सब को आगाह करना है अब उससे वही लोग फ़ायदा उठाएंगे जो लोग अल्लाह का डर और खौफ़ रखते हैं लेकिन जो ना अहल हैं वो बहस में पड़ जायेंगे कब आयेगी कैसे आयेगी
(46) كَأَنَّهُمْ يَوْمَ يَرَوْنَهَا لَمْ يَلْبَثُوا إِلَّا عَشِيَّةً أَوْ ضُحَاهَا
Hindi : क-अन्नहुम यौमा यरौनहा लम् यलबसू इल्ला अशिय्यतन औ दुहाहा
Translation : जिस दिन वो क़यामत को देख लेंगे, तो उनको ऐसा लगेगा जैसे वो (दुनिया में) सिर्फ़ एक शाम या एक सुबह ही रहे हों।
आयत न. 46 : जो लोग आख़िरत का इनकार करते हैं उन्हें लग रहा है कि इतना वक़्त गुज़र गया क़यामत अभी तक नहीं आई तो वो लोग जान लें कि जिस दिन क़यामत आ जाएगी तब तुम्हें ऐसा लगेगा कि बस एक सुबह या एक शाम या बहुत थोडा ही वक़्त दुनियां में गुज़ारा
इस सूरह से हमने क्या सीखा…….
1. मौत और क़यामत की हकीकत
सूरह की शुरुआत में फरिश्तों का ज़िक्र है जो इंसानों की रूहें निकालते हैं—कुछ सख्ती से (काफ़िरों की), और कुछ नर्मी से (मोमिनों की)।
सबक : इससे ये सीख मिलती है कि मौत एक यकीनी हकीकत है और हर इंसान को इसका सामना करना है।
2. क़यामत का दिन यकीनन आएगा
ये सूरह बताती है कि लोग क़यामत को झुठलाते हैं, लेकिन वो दिन ज़रूर आएगा और उस दिन हर इंसान अपने कर्मों का हिसाब देना होगा।
सबक: हमें अपनी ज़िन्दगी का हिसाब रखना चाहिए क्योंकि एक दिन हमें अल्लाह के सामने पेश होना है।
3. तकब्बुर और इनकार का अंजाम (फ़िरऔन की मिसाल)
सूरह में फिरऔन का ज़िक्र है जिसने हज़रत मूसा अलैहि-सलाम का इनकार किया और खुद को “रब” कहने लगा।
सबक: तकब्बुर (घमंड) और सच्चाई को ठुकराना इंसान को हलाकत की तरफ ले जाता है और उसका अन्जाम बहुत बुरा होता है |
4. तौहीद और अल्लाह की कुदरत पर ईमान
इस सूरह में अल्लाह की कुदरत का ज़िक्र है कि कैसे उसने आसमान और ज़मीन बनाये, इंसान को पैदा किया, और ज़िन्दगी के ज़रूरी सामान फराहम किए।
सबक: इंसान को ये जानना चाहिए कि वह खुदा के आगे बिल्कुल मजबूर है और उसी पर भरोसा करना चाहिए।
5. इनसाफ और बदला
ये सूरह बताती है कि अल्लाह हर अमल का पूरा हिसाब करेगा। अच्छे लोगों को जन्नत मिलेगी और बुरे लोगों को जहन्नम ।
सबक: अल्लाह के यहाँ हर किसी के साथ इंसाफ किया जायेगा इसलिए हमें नेक आमाल करने चाहिए और बुराई से बचना चाहिए।
और ज़्यादा जानने के लिए पढ़ें : आसान तफ़सीर और तफ़सीर की बुक्स


