Istikhara Karne Ka Tariqa In Hindi |
इस्तिखारा कैसे करें?
इस्तिखारा ( Istikhara ) का मतलब है अल्लाह तआला से खैर तलब करना, सही फैसले के लिए मदद मांगना, और ये उस वक़्त किया जाता है जब आप किसी काम को लेकर कन्फ्यूज़न में हों कि ये काम मेरे लिए सही होगा या नहीं। जैसे शादी को लेकर उलझन में हों कि मुझे फलां शख्स से या फलां जगह से शादी करनी चाहिए या नहीं, ये कारोबार मुझे करना चाहिए नहीं, या ऐसी कोई situation आ जाये जहाँ पर फ़ैसला करना मुश्किल हो रहा हो तो इस्तिखारा का सहारा ज़रूर लेना चाहिए लेकिन कैसे करें, तो चलिए आज हम Istikhara Karne Ka Tariqa बताएँगे |
Istikhara Karne Ka Tariqa In Hindi
इस्तिखारा करने का तरीक़ा ये है कि सब से पहले पाक और बावुजू होकर दो रकात नमाज़ पढ़ें बिलकुल वैसे ही जैसे आम नमाज़ें आप पढ़ते हैं
1. दो रकात नमाज़ पढ़ें
नियत करें : नियत करता हूँ मैं दो रकात नफ्ल, वास्ते अल्लाह तआला के, रुख मेरा काबे शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर
पहली रकात : हाथ बाँध लेने के बाद सना और फिर सूरह फातिहा (अलहम्दु शरीफ़) और फिर कोई सूरह पढ़ें फिर रुकू और सज्दा करें
दूसरी रकात : सूरह फातिहा (अलहम्दु शरीफ़) और फिर कोई सूरह पढ़ें फिर रुकू और सज्दा करने के बाद अत तहिय्यात दुरूद शरीफ़ दुआए मासूरा पढ़ने के लिए बैठ जाएँ फिर आखिर में सलाम फेर लें ( ये वही तरीक़ा है जो आम नमाज़ों में होता है )
2. इस्तिखारा की दुआ पढ़ें
सलाम फेर लेने के बाद अब आपको ये दुआ पढनी है, जो हमारे नबी पाक स.अ. ने सिखाई है: और ये भी याद रखें कि दुआ करते हुए जब हाज़ल अम्र (هَذَا الْأَمْرَ ) पर पहुंचे तो अपने काम को ध्यान में लाये जिस के लिए इस्तिखारा कर रहे हैं |
Istikhara Ki Dua In Arabic:
اللَّهُمَّ إِنِّي أَسْتَخِيرُكَ بِعِلْمِكَ
وَأَسْتَقْدِرُكَ بِقُدْرَتِكَ
وَأَسْأَلُكَ مِنْ فَضْلِكَ الْعَظِيمِ
فَإِنَّكَ تَقْدِرُ وَلا أَقْدِرُ
وَتَعْلَمُ وَلا أَعْلَمُ
وَأَنْتَ عَلَّامُ الْغُيُوبِ
اللَّهُمَّ إِنْ كُنْتَ تَعْلَمُ أَنَّ هَذَا الْأَمْرَ خَيْرٌ لِي فِي دِينِي وَمَعَاشِي وَعَاقِبَةِ أَمْرِي
فَاقْدُرْهُ لِي وَيَسِّرْهُ لِي
ثُمَّ بَارِكْ لِي فِيه
وَإِنْ كُنْتَ تَعْلَمُ أَنَّ هَذَا الْأَمْرَ شَرٌّ لِي فِي دِينِي وَمَعَاشِي وَعَاقِبَةِ أَمْرِي
فَاصْرِفْهُ عَنِّي وَاصْرِفْنِي عَنْهُ
وَقْدِرْ لِيَ الْخَيْرَ حَيْثُ كَانَ
ثُمَّ أَرْضِنِي بِهِ
Istikhara Ki Dua In Hindi :
अल्लाहुम्मा इन्नी अस्तखीरुका बि’इल्मिक
वअस्तक़ दिरुका बिक़ुद-रतिक
व-अस अलुका मिन फ़ज़्लिकल अज़ीम
फइन्नका तक़्दिरु वला अक़्दिर
व तअ’लमु वला अअ‘लमु
व-अन्ता ‘अल्लामुल् ग़ुयूब
अल्लाहुम्मा इन कुन्ता त‘अलमु अन्ना हाज़ल-अम्र (यहाँ पर उस काम को दिल में लाये जिसके लिए इस्तिखारा कर रहे हैं)
खैरुन ली फ़ी दीनी, व मआशी व‘आकिबतु अमरी
फ़क्दुरहु ली वयस्सिरहु ली, सुम्मा बारिक़ ली फ़ीहि
व इन कुन्ता त‘अलमु अन्ना हाज़ल -अमरु ( (यहाँ पर उस काम को दिल में लाये जिसके लिए इस्तिखारा कर रहे हैं)
शर्रुन ली फ़ी दीनी व-मआशी व‘आक़ि-बतु अमरी
फ़स रिफ्हु अन्नी वसरिफ़नी अन्हु, वक़दिर लियल-खै-र हैसु काना
सुम्मा अरदिनी बिह
हिन्दी (तर्जुमा)
“ए अल्लाह! मैं तुझसे तेरे इल्म के साथ भलाई मांगता हूँ,
और तुझसे तेरी क़ुदरत के साथ ताक़त तलब करता हूँ ।
और मैं तुझसे तेरा अज़ीम फज़ल माँगता हूँ।
बेशक तू ही सब कुछ कर सकता है और मैं नहीं कर सकता।
तू जानता है और मैं नहीं जानता।
और तू छुपी हुई बातें जानने वाला है।
एअल्लाह! अगर तू जानता है कि यह काम मेरे लिए मेरे दीन, मेरी जिंदगी और मेरे अंजाम (नतीजा) के लिहाज़ से बेहतर है,
तो इसका मेरे हक़ में फ़ैसला कर दे, और इसे मेरे लिए आसान कर दे, और फिर इसमें मेरे लिए बरकत डाल दे।
अगर तू जानता है कि यह काम मेरे लिए मेरे दीन, मेरी जिंदगी और मेरे अंजाम (नतीजा) के लिहाज़ से बुरा है
तो इसे मुझसे दूर कर दे और मुझे भी इससे दूर कर दे,
और मेरे लिए भलाई का फ़ैसला कर दे जहाँ भी वो हो,
फिर मुझे उस पर राज़ी कर दे।”
3. इसके बाद अल्लाह से दुआ करें
दुआ पढ़ लेने के बाद दिल की गहराई से अल्लाह से मांगे कि आपको उस काम में जो भलाई है वो आप तक पहुंचाए और अगर उस काम में कोई नुकसान या परेशानी हो, तो उसे आपसे दूर कर दे।
4. इस्तिखारे के बाद जिस तरफ दिल माइल हो वो काम करे
यानि इस्तिखारे कर लेने के बाद जिस काम से इत्मिनान हो, दिल का झुकाव जिसकी तरफ़ हो रहा हो, तो समझ लेना चाहिये कि इसी काम में मेरे लिए भलाई है, और यही मेरे लिए बेहतर है, और जिस काम से डर या बेचैनी हो और दिल का झुकाव उसकी तरफ़ न हो रहा हो तो ये इस बात का इशारा है कि वो काम आपके लिए ठीक नहीं है |
नोट : अगर एक बार दिल को इत्मीनान न हो तो सात दिन तक यही अमल दोहराए, इंशाअल्लाह खैर होगी
FAQ About Istikhara | इस्तिखारे से मुताल्लिक सवालात
इस्तिखारे की नमाज़ का टाइम क्या है?
दिन या रात में किसी भी वक़्त बस वो मकरूह वक़्त न हो
ये नमाज़ सुन्नत है या नफ्ल ?
नमाज़ नफ्ल है
क्या इस्तिखारे के बाद ख्वाब आता है ?
आ भी सकता है लेकिन ज़रूरी नहीं जिस तरफ दिल माइल हो वही उसी में खैर समझनी चाहिए और इस्तिखारे का मतलब ये नहीं कि अल्लाह सीधा जवाब दे देगा, बल्कि दिल को राह दिखाता है।
अल्लाह हम सबके मसाइल हल कर दे और सही रास्ता दिखा दे, आमीन