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Islamic Morning Routine | सुबह के 10 काम जो आपकी ज़िंदगी बदल देंगे

Islamic Morning Routine

Islamic Morning Routine |

सुबह के 10 काम जो आपकी ज़िंदगी बदल सकते हैं

आपने कभी गौर किया है कि कुछ लोगों की सुबह बहुत हल्की, बहुत उजली और बहुत बरकत वाली होती है? बिलकुल इस तरह जैसे दिन उनके लिए खुलकर मुस्कुरा रहा हो। तो ऐसा कौन सा Morning Routine है, जिसको फॉलो करके वो ये सब हासिल कर लेते हैं, चलिए जानते हैं लेकिन hold on, आज हम ये बात नहीं करेंगे कि आप कितने बजे उठते हैं, बल्कि ये बात करेंगे किस चीज़ से अपने दिन की शुरुआत करते हैं और उठते ही कौन से काम करते हैं |

इसीलिए आज हम जिस टॉपिक पर बात करने वाले हैं वो है “Islamic Morning Routine यानि सुबह के वो 10 आसान काम जो आपकी ज़िंदगी में बरकत लायेंगे,आपकी नसों में सुकून उतार देंगे और रिज़्क़ के दरवाज़े खोल देंगे। और ख़ुशी की बात तो ये है कि कोई भारी इबादत नहीं, कोई मुश्किल चीज़ नहीं, बस छोटी-छोटी morning habits… लेकिन असर? दिल और ज़िंदगी दोनों बदल जाते हैं।

आप बस इन्हें शुरू कीजिए, फर्क़ खुद महसूस करेंगे। और आपका पूरा अंदरूनी सिस्टम आपका शुक्रिया अदा करेगा| तो चलिए, शुरू करते हैं।

Islamic Morning Routine | सुबह के 10 काम जो आपकी ज़िंदगी बदल सकते हैं

 1. उठते ही दिल से कहना “अल्हम्दुलिल्लाह”

नींद खुलते ही मुंह से निकलने वाला सबसे पहला जुम्ला… “अल्हम्दुलिल्लाह।”
यानि ऐ अल्लाह, तूने मुझे ज़िंदगी का एक और दिन दिया, एक और मौका, एक और सांस अता की… ऐ अल्लाह तेरा शुक्र है। अगर आप चाहें तो अपने अल्फ़ाज़ में भी कह सकते हैं:
• “या अल्लाह, शुक्र है तूने मुझे सेहत दी।”
• “शुक्र है तूने मुझे छत और खाना दिया।”
• “शुक्र है तूने मुझे इमान दिया।”

क़ुरआन का सीधा वादा है:

“अगर तुम शुक्र करोगे, तो मैं तुम्हें और दूँगा।”
Surah Ibrahim – 14:7

सुबह के वक़्त का यह छोटा सा शुक्र ( Gratitude) दिल में नूर उतार देता है, नेमतें बढ़ाता है और दिन को हल्का, आसान और बरकत वाला बना देता है।

2. फज्र के बाद न सोना – दिन भर की बरकत की चाबी

फज्र के बाद बिस्तर बहुत खींचता है। लेकिन जो लोग इस पर क़ाबू पा लेते हैं, उनकी productivity और दिल की ताज़गी दूसरे level पर पहुँच जाती है। क्यूंकि हदीस में है कि उम्मत की बरकत सुबह के वक़्त में रखी गई है।

रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया

“मेरी उम्मत की बरकत सुबह के वक़्त में रखी गई है।”
Sunan Ibn Majah – 2236 Musnad Ahmad – 12534

आज साइंस भी कहती है कि सुबह दिमाग़ का “golden focus time” होता है। सुबह का यह वक़्त देता है आपको:

  • दिमाग़ का sharpest mode
  • पढ़ाई, लिखाई, planning और ibadah का सबसे आसान टाइम
  • और दिन में सबसे ज़्यादा रिज़्क़ और energy वाले घंटे

आप बस यह एक काम पकड़ लीजिए, एक हफ़्ते बाद आपकी सुबह और ज़िंदगी दोनों बदली हुई मिलेंगी।

3. सुबह सुबह तस्बीह, दिल का असली “Morning Vitamin”

फज्र के बाद, सूरज निकलने से पहले तस्बीह करना एक बहुत प्यारा अमल है। अल्लाह तआला ने क़ुरआन में सुबह और शाम के ज़िक्र का बार-बार हुक्म दिया है।
क्यों? क्योंकि इसी वक़्त:

  • परिंदे तस्बीह कर रहे होते हैं
  • हवा, पहाड़ और पूरी मख्लूक अल्लाह की याद में होती है
  • और इसी घड़ी रिज़्क़ तक़सीम होता है

तो तस्बीह में कम से कम आप इतना पढ़ लें: 33 बार “सुब्हानल्लाह” 33 बार अल्हम्दुलिल्लाह, 34 बार अल्लाहु अकबर

“33 बार SubhanAllah, 33 बार Alhamdulillah, 34 बार Allahu Akbar।”
→ Sahih Muslim – 597

यकीन जानिए! यह सिर्फ ज़िक्र नहीं, बल्कि आपकी आत्मा का पहला “Energy Booster” है।

4. सुबह थोड़ा सा क़ुरआन – पूरे दिन की रूहानी ताक़त

सुबह सुबह क़ुरआन की तिलावत… यह वो चीज़ है जो दिल पर भी असर करती है और दिन की direction पर भी। आप 2 आयतें पढ़ें या 20, मुद्दा quantity नहीं, consistency है।
एक आलिम का क़िस्सा बहुत मशहूर है:
उन्होंने कहा- “मैंने रोज़ सुबह कुछ आयतें पढ़ना शुरू किया, और मेरे दिन में ऐसी बरकत आई कि मैं खुद हैरान था। जितनी आयतें बढ़ाता गया, बरकत भी बढ़ती गई।” इसलिए क़ुरआन घर में पढ़ा जाए तो नूर उतरता है। और सुबह पढ़ा जाए तो यह नूर पूरे दिन फैल जाता है, आपकी बातें, आपका mood, आपका काम, सब बदल जाता है।
बस वुज़ू करके साफ़ दिल से बैठ जाइए…कुछ मिनटों का क़ुरआन, और घंटों की बरकत।

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5. सुबह सूरह यासीन पढ़ना – दिन की रौशनी और आसानी का राज़

सुबह सुबह सूरह यासीन पढ़ना… यह कोई आम पढ़ाई नहीं, बल्कि इससे आपकी रूह को ताजगी का signal मिलता है, और पूरा दिन बहुत आसान गुज़रता है। उलमा इसको “क़ुरआन का दिल” कहते हैं क्योंकि इसके मआनी, इसके असरात और इसके फज़ाइल सीधे दिल में उतरते हैं। बहुत से लोग अपने तजुर्बे से बताते हैं कि जिसने सुबह सूरह यासीन को आदत बना लिया, उसके कामों में आसानी आने लगी, परेशानियाँ हल्की होने लगीं, और दिल में एक अजीब सा सुकून उतरने लग गया।

आप इसे फज्र के बाद, वुज़ू के साथ आराम से बैठकर पढ़ सकते हैं। अगर पूरी सूरह पढ़ना मुश्किल लगे तो कोई बात नहीं, धीरे-धीरे आदत बनाएँ। इंशाअल्लाह एक दिन ऐसा आएगा कि सूरह यासीन इंशाअल्लाह आपका morning routine बन जाएगी। सुबह इस सूरह का पढ़ना ऐसा है जैसे:

  • दिन के दरवाज़े आसानी से खुल जाएँ
  • घर में रौनक और नूर बढ़ जाए
  • और अल्लाह की खास मदद साथ चलती रहे

सुबह के इस अमल को routine में शामिल कर लीजिए, दिन भी रौशन होगा और दिल भी।

6. सुबह दरूद शरीफ़ – रहमत की हल्की बारिश

रसूल ﷺ ने फरमाया:
“जो मुझ पर एक बार दरूद भेजता है, अल्लाह उस पर दस रहमतें नाज़िल करता है।”
Sahih Muslim – 408

इसलिए कम से कम सुबह बस 10 बार पढ़ लें:
اللهم صل على محمد وعلى آل محمد
अल्लाहुम्मा सल्लि अला मुहम्मदिव व-अला आलि मुहम्मद

आप देखेंगे कि:
• दिल हल्का होता है
• ग़म कम होने लगते हैं
• चेहरे पर नूर आता है
• और पूरे दिन एक अनदेखी हिफाज़त साथ चलती है

दरूद शरीफ़ ऐसा है जैसे सुबह-सुबह रूह पर एक नर्म सी बरसात गिर रही हो…बरकत, मोहब्बत और सुकून सब साथ बह रहे हों।

7. सुबह का इस्तिग़फ़ार – मुश्किलों की चाबी, रिज़्क़ का दरवाज़ा

सुबह उठकर “अस्तग़फ़िरुल्लाह” कहना… यह सिर्फ़ तौबा नहीं, यह एक नई शुरुआत है।

क़ुरआन  कहता है:
“जो इस्तिग़फ़ार करता है, अल्लाह उसके लिए हर मुश्किल से निकलने की राह बना देता है।”
Surah At-Talaq – 65:2–3

और हदीस में है कि….

“जो इस्तिग़फार करता है, अल्लाह उसकी हर तंगी को दूर कर देता है।”
Sunan Abi Dawood – 1518

सुबह 50 बार, 100 बार – जितना दिल चाहे कह लें:
अस्तग़फिरुल्लाह वा अतूबु इलैह
इसके फायदे ऐसे हैं जो इंसान की पूरी ज़िंदगी को बदल देते हैं:
• रिज़्क़ बढ़ता है
• नेमतें मिलना आसान हो जाता है
• ग़म हल्का होता है
• दुआएँ क़ुबूल होती हैं
• और सबसे बढ़कर, दिल साफ़ होता है

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8. चाश्त / Duha की नमाज़ – रोज़ के 360 सदक़ों का सवाब

चाश्त की नमाज़ वो hidden gem है, जिसे अगर इंसान पकड़ ले, तो उसके दिन में इतनी बरकत आती है कि खुद हैरान रह जाता है। और हदीस में है कि “चाश्त की नमाज़ 360 सदक़ात के बराबर है।” सोचिये! चन्द रकातों की इतनी फ़ज़ीलत, इसलिए आप  2 रकअत से लेकर 8 रकअत तक… जितना आसान लगे पढ़ लें।

रसूल ﷺ ने फरमाया:
“हर दिन इंसान के 360 जोड़ हैं और हर जोड़ का सदक़ा है… चाश्त  की दो रकअत यह सब पूरा कर देती है।”
Sahih Muslim – 720

मतलब, आप अपने जिस्म के हर जोड़ की तरफ़ से शुक्र अदा कर देते हैं। तो अगर हर दिन न पढ़ सकें, तो हफ्ते में 2–3 दिन ही सही शुरुआत तो करें। लेकिन इसे अपनाएँ… बरकत यक़ीनन महसूस होगी।

9. सुबह अल्लाह से बात करना – तवक़्क़ुल की असली मिठास

सुबह अल्लाह के सामने बैठकर अपने दिन की बात करना… यह आपको एक ऐसी ताक़त (Power) दे देता है, जो किसी motivational वीडियो में भी नहीं मिलती।
बस धीरे से कह दें:
• “या अल्लाह, आज के काम आसान कर दे।”
• “आज की मीटिंग में बरकत दे।”
• “बच्चों की हिफाज़त कर।”
• “मेरी रोज़ी में आसानी कर।”
रसूल ﷺ ने परिंदों की मिसाल देकर कहा:
“परिंदे सुबह खाली पेट जाते हैं और शाम को भरे हुए लौटते हैं” — सुबह का यह तवक़्क़ुल… आपके दिल के डर खींच लेता है और दिन को आसान बना देता है।

रसूल ﷺ ने फ़रमाया :

“अगर तुम अल्लाह पर सच्चा भरोसा कर लो तो वह तुम्हें वैसे ही रिज़्क़ देगा जैसे परिंदों को देता है।”
→ Jami’ At-Tirmidhi – 2344

10. सुबह थोड़ा सदक़ा – रिज़्क़ के दरवाज़े खोलने वाली आदत

सुबह की शुरुआत खर्च से करना…यह अमल दिल भी साफ़ करता है और किस्मत भी। कुछ आसान तरीक़े:
• घर वालों पर खर्च कर लें
• बीवी को दिन का grocery बजट दे दें
• किसी गरीब के लिए ₹10–₹20 auto-donation
• चिड़ियों को दाना
• किसी बिल्ली/कुत्ते को खाना
• माँ-बाप को छोटा-सा “नेमत वाला” पैसा
• बच्चों की pocket money

रसूल ﷺ ने कहा:
“जो अपने घरवालों पर खर्च करता है, उसे भी सदक़े का सवाब मिलता है।”
Sahih Bukhari – 5351

Conclusion – दिल छू लेने वाली और practical बात

अगर सोचें तो ये सारे 9 अमल बहुत छोटे हैं, लेकिन असर? बहुत गहरा। आप कम से कम एक महीना इन पर अमल कीजिए… आप देखेंगे कि:

• आपका दिल हल्का हो गया
• दिमाग शांत हो गया
• काम आसान होने लगे
• रिज़्क़ में बरकत महसूस होने लगी
• और सबसे बड़ी बात, अल्लाह से कनेक्शन मज़बूत हो गया

ज़िंदगी दरअसल सुबह से ही बनती है। जिसने अपनी सुबह सँवार ली… उसने अपनी पूरी ज़िंदगी सँवार ली। अल्लाह से दुआ है कि ये 9 अमल हमारी रूटीन का हिस्सा बन जाएँ और हमारी दुनिया व आख़िरत दोनों रोशन कर दें। आमीन।

Islamic Morning Routine FAQs

1. क्या फज्र के बाद सोना मना है?

हराम तो नहीं है। लेकिन सोने से सुबह की बरकत खो जाती है। इसलिए बेहतर है कि थोड़ी देर जागकर कोई अच्छा काम कर लिया जाए।

2. सुबह क़ुरआन कितना पढ़ना चाहिए?

जितना दिल चाहे, पढ़ने के लिए एक page या चन्द आयतें भी काफ़ी हैं। मुद्दा continuity और consistency का है।

3. क्या दरूद सुबह ही पढ़ना ज़रूरी है?

ज़रूरी नहीं, लेकिन सुबह पढ़ना दिन को रहमत और हिफाज़त से भर देता है।

4. इस्तिग़फ़ार कितनी बार करें?

50 या 100 बार एक अच्छी शुरुआत है। लेकिन जितना पढ़ना चाहे, उतना पढ़ सकते हैं।

5. चाश्त की नमाज़ का सही वक़्त क्या है?

सूरज पूरी तरह निकल जाए, और गर्माहट शुरू हो जाए, उस वक्त से ज़ुहर से थोड़ा पहले तक।

6. सुबह अल्लाह से बात कैसे करें?

बहुत आसान है, बस अपने दिल की बातें बोल दें, अपने आज के काम, अपने डर, अपनी उम्मीदें… सब अल्लाह के सामने रख दें।

7. क्या ₹10–₹20 का छोटा सदक़ा भी फायदेमंद है?

बिल्कुल! सदक़ा quantity से नहीं, नियत से बड़ा होता है। छोटे पैसे भी बरकत के दरवाज़े खोल देते हैं।

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