Hazrat Muhammad – 10 Unique Qualities |
हज़रत मुहम्मद की 10 अनोखी खूबियाँ
(Hazrat Muhammad ﷺ) दोस्तों ! आज हम के लिए एक ऐसा टॉपिक लेकर आये हैं जो हर मुसलमान के दिल के करीब है, जिसको लिखते वक़्त मेरा क़लम बार बार अदब का लिहाज़ करते हुए रुक जाता था , क्यूंकि वो शख्सियत ही ऐसी है जिनकी तारीफ़ ज़मीन से आसमान तक होती है, जिनके नाम के साथ खुद अल्लाह अपना नाम जोड़ते हैं, जिनके इशारे से चाँद दो टुकड़े हो जाता है, और मैं क्या कहूं उस अज़ीम शख्सियत के बारे में, जहाँ मौत भी पूछ कर आती हो |
मैं उनकी बात कर रहा हूँ जिन्होंने सिर्फ़ 23 साल की मुद्दत में ऐसा इन्कलाब बरपा कर के रख दिया कि कल बेटी दफ्न होती थी आज उसको पालने की ख्वाहिश पैदा हो गयी ,कल गुलामी थी आज आज़ादी का बोलबाला हो गया, जिनके दुश्मन भी उनकी अमानतदारी और सच्चाई के कायल हो गए, और जिनकी रहमत ने नफरत करने वालों को भी मोहब्बत करना सिखा दिया।
आप समझ ही गए होंगे कि मैं बात कर रहा हूँ सैय्यदुल अंबिया, रहमतुल्लिल आलमीन, हमारे प्यारे नबी, हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा ﷺ की, आज हम उन्हीं की उन 10 बेमिसाल खूबियों का ज़िक्र करेंगे, जो सिर्फ़ और सिर्फ़ उन्हें ही अता की गईं। वो ख़ूबियाँ जो ना पहले किसी को मिलीं और ना आगे किसी को मिलेंगी, ऐसी बातें, जो आपके दिल को छू लेंगी, और आपकी मुहब्बत-ए-रसूल ﷺ को और गहरा कर देंगी। तो आइए, नबी पाक स.अ. की मुहब्बत और अक़ीदत में थोडा हिस्सा हम भी ले लेते हैं।”
1. अल्लाह की ख़ास हिफाज़त
अल्लाह के नबी ﷺ वो शख्सियत हैं, जिनकी हिफाज़त के लिए अल्लाह ने खुद अपनी ज़िम्मेदारी ली, जब तमाम दुश्मनों ने साज़िशें कीं, तो अल्लाह का कलाम नाज़िल हुआ :
“واللہ یعصمک من الناس”
(अल-माइदा: 67)
“और अल्लाह आपको लोगों से महफूज़ रखेगा।”
यही नहीं, ऐसे कितने वाकये हैं जब आपकी जान पर खतरा मंडरा रहा था, लेकिन अल्लाह ने आपको हर बार महफूज़ रखा। जैसे वो वाकया जब एक एक सफ़र के दौरान नबी करीम स.अ. साथियों से अलग एक पेड़ के नीचे आराम फरमा रहे थे कि अचानक आप ने देखा कि एक देहाती तलवार लेकर खड़ा हुआ है और कह रहा है, “तुम्हें मुझसे कौन बचाएगा?” तो आप ﷺ ने इत्मिनान से जवाब दिया, “अल्लाह।” ये कहना था कि तुरंत उसकी तलवार हाथ से गिर गई, और वह कांपने लगा। ये अल्लाह की वो खास नेअमत थी, जो सिर्फ़ और सिर्फ़ नबी करीम ﷺ के लिए थीं।
2. ख़्वाब में हक़ीक़ी ज़ियारत
अगर आप किसी को ख्वाब में देखें तो हो सकता है वो शख्स न हो बल्कि शैतान उसकी शक्ल बनाकर आया हो, क्यूंकि शैतान हर किसी की सूरत बना सकता है लेकिन क्या कहने मुहम्मदुर रसूलुल लाह स.अ. के, जिनकी की ख्वाब में ज़ियारत बिलकुल हकीकत की तरह होती है?उसमें कोई धोका हो ही नहीं सकता, क्यूंकि शैतान सब की तो शक्ल बना कर आ सकता है, लेकिन हमारे नबी की नहीं बना सकता क्यूंकि
रसूल अल्लाह ﷺ ने फ़रमाया: “जो शख्स मुझे ख्वाब में देखता है, उसने हक़ीक़त में मुझे ही देखा है,
क्यूंकि शैतान मेरी सूरत इख़्तियार नहीं कर सकता।”
अल्लाह तआला ने आपको ऐसी इज़्ज़त दी कि आपकी ख्वाब में ज़ियारत हक़ीक़त बन गई, शैतान ख्व़ाब में हर किसी की शक्ल बना सकता है लेकिन नबी करीम स.अ. की बिलकुल भी नहीं, क्या अजमत थी मेरे नबी की, जो किसी और नबी को भी नहीं मिली।
3. आप ﷺ को एहतिराम से पुकारना
इसके बाद, जब आप ﷺ की अज़मत का ज़िक्र होता है, तो हमें याद आता है वो हुक्म जो अल्लाह तआला ने सूरह नूर में हमें दिया:
لَا تَجۡعَلُوۡا دُعَآءَ الرَّسُوۡلِ بَيۡنَكُمۡ كَدُعَآءِ بَعۡضِكُمۡ بَعۡضًا ؕ
“ए मुसलमानों, रसूल को उस तरह न पुकारो जैसे एक दूसरे को पुकारते हो” (अन-नूर: 63)
यह हुक्म इस बात का गवाह है कि अल्लाह ने आपको एक ख़ास मक़ाम और एहतिराम दिया, और आपकी उम्मत को यह तालीम दी कि जब भी आप ﷺ को मुखातिब हों तो अदब का दायरा न भूलें |

4. उम्महातुल मोमिनीन का ख़ास मक़ाम
आप ﷺ के घरवालों, यानी आपकी बीवियाँ, को “उम्महातुल मोमिनीन” यानी मोमिनों की माँ का दर्जा दिया गया, यानि आपकी बीवियाँ हर उम्मती की माँ हैं , ये एक पाकीज़गी और ख़ास मक़ाम था, जो सिर्फ़ आप ﷺ की बीवियों को मिला। किसी भी मर्द के लिए आप ﷺ की बीवी से निकाह करना मुमकिन नहीं था, जो कि उनके पाक और बुलंद मक़ाम का सबूत है।
5 . मौत के लिए इजाज़त
जब अखीर में नबी करीम स.अ. के पर्दा फ़रमाने का वक़्त आया तो अल्लाह तआला ने हज़रत जिब्राईल (अलैहिस्सलाम) को हुक्म दिया कि वो रसूल अल्लाह ﷺ से मौत की इजाज़त तलब करें तो हज़रत जिब्राईल अ.स. ने आकर ये पैग़ाम दिया कि “आपके रब का हुक्म आया है, क्या आप इजाज़त देते हैं?”। ये एक अलग क़िस्म का एज़ाज़ और एहतराम था कि यहाँ मौत भी पूछ कर आ रही थी और रूह निकलने से पहले नबी करीम स.अ. की मर्ज़ी और रज़ामंदी का लिहाज़ रख रही थी
6 . नबी करीम ﷺ ने तमाम अंबिया की इमामत फ़रमाई
इस्रा व मिराज की रात हज़रत जिबराइल अ.स. नबी पाक स.अ. को आसमानों की सैर और अल्लाह से मुलाक़ात कराने के लिए तशरीफ़ लाये लेकिन आसमानों पर ले जाने से पहले बैतुल मक़्दिस (मस्जिदे अक़्सा) ले गए, जहाँ आप ﷺ ने सारे नबियों की इमामत फ़रमाई, यह वाक़िया बताता है कि सारे नबियों में भी आपका क्या मक़ाम था और इसी वाक़िये की वजह आप ﷺ को “इमामुल अंबिया” का दर्जा हासिल है।
7. कुरआन की हिफाज़त का वादा
नबी करीम स.अ. पर उतरी हुई किताब कुरआन मजीद की हिफाज़त का ज़िम्मा ख़ुद अल्लाह तआला ने लिया, और फ़रमाया “बेशक हमने ही ज़िक्र (कुरआन) नाज़िल किया और हम ही इसके मुहाफ़िज़ हैं” (अल-हिज्र: 9)। इसी वजह से कुरआन मजीद की हर आयत आज भी उसी तरह महफ़ूज़ है, जैसे अल्लाह ने उसे नाज़िल किया, जबकि पिछली किताबें जो अल्लाह तआला ने दुसरे नबियों पर नाज़िल कीं और उनकी हिफाज़त की ज़िम्मेदारी लोगों पर थी जो पूरी न हो सकी |
8. इंसानों और जिन्नात के लिए नबी
नबी करीम स.अ. से पहले जितने भी नबी आये वो एक ख़ास जगह के लिए थे ख़ास इलाक़े के लिए थे, सारी दुनिया के इंसानों की हिदायत की ज़िम्मेदारी किसी के कंधों पर नहीं थी, लेकिन जब हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा स.अ. तशरीफ़ लाये तो आप सिर्फ़ सारी दुनिया के इंसानों के लिए ही नहीं बल्कि जिन्नातों की हिदायत की इमामत भी आपको हासिल हुई आप ﷺ ने दोनों मख़लूक़ात यानि इंसानों और जिन्नात को इस्लाम की दावत दी, और यही आपकी नुबूवत की वुसअत का एक अज़ीम सुबूत है।
9. क़यामत के दिन सब से पहले सिफ़ारिश करेंगे
क़यामत के दिन हर नबी के पास अपनी उम्मत के लिए एक मक़ाम होगा, लेकिन हज़रत मुहम्मद ﷺ को एक ख़ास मक़ाम “लिवा-ए-हमद” यानी हमद का झंडा अता किया जाएगा, और उस दिन जब इंसानियत का हिसाब किताब होगा और सभी उम्मतें अपने-अपने नबी के पास जाकर अपनी शफाअत की उम्मीद करेंगी, तो इस दिन एक ऐसा खास मक़ाम नबी करीम ﷺ को मिलेगा जो किसी और को नहीं मिलेगा।
वो ये है कि हज़रत मुहम्मद ﷺ पहले नबी होंगे जो अपनी उम्मत के लिए सब से पहले सिफ़ारिश करेंगे। यही नहीं, बल्कि आप ﷺ की शफाअत से ही क़यामत का आग़ाज़ होगा इसका मतलब यह है कि आपकी शफाअत से पहले कोई भी उम्मत अपने हिसाब का फैसला नहीं करवा पाएगी |
10. पहला शख्स जो जन्नत में दाखिल होगा
अब जब हर मक़ाम आला, हर जगह परचम बलंद बाला, तो जन्नत में भी नबी अक़रम ﷺ की अज़मत ये होगी कि आप सबसे पहले जन्नत में दाखिल होंगे। जिस के बारे में आप ﷺ ने फ़रमाया कि “क़यामत के दिन जन्नत के दरवाज़े पर सबसे पहले मैं दस्तक दूंगा और दरवाज़ा मेरे लिए खोला जाएगा” इससे ज़ाहिर होता है कि अल्लाह तआला ने आप ﷺ को जन्नत में भी सबसे बुलंद मक़ाम अता किया है।
ये तमाम ख़ुसूसियात हमारे आक़ा करीम, शफीउल मुज्निबीन, हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा स.अ. की शान और अल्लाह के नज़दीक आपके बुलंद मक़ाम का एहसास दिलाती हैं। हम सब को चाहिए कि आप ﷺ से मुहब्बत करें, आपकी सुन्नत पर अमल करें, और दुआ करें कि क़यामत के दिन अल्लाह तआला हमें आप ﷺ के दस्ते मुबारक से हौज़े कौसर से पिलायें। अल्लाह तआला हमें आप ﷺ के नक्शे कदम पर चलने की तौफ़ीक़ अता फरमाए। आमीन

