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5 Powerful Suraten Quran Me | 5 सबसे पावरफुल सूरतें क़ुरान में

5 Powerful Suraten Quran Me

5 Powerful Suraten Quran Me |

5 सबसे पावरफ़ुल सूरतें क़ुरान में

अगर कुरआन कोआपने अलमारी में रखी हुई दूसरी किताबों की तरह सिर्फ़ एक किताब समझ रखा है, तो इस ग़लतफ़हमी से निकल आइये! क्यूंकि कुरआन सिर्फ़ एक किताब नहीं, बल्कि एक ज़िंदा चमत्कार है, जो हर दौर में बेचैन दिलों को सुकून देता रहा है, गुमराहों को रास्ता दिखाता रहा है, और परेशानी को आसानी में बदलने की दवा बताता आ रहा है । तो आज हम इसी कुरआन से 5 सबसे पावरफुल सूरतें (5 Powerful Suraten Quran Me) बताने जा रहे हैं, जो आपकी ज़िन्दगी बदल कर रख देंगी |

अहम् बात !

अज़ीज़ों ! हर इन्सान 3 चीज़ों से बंधा हुआ है Health, Wealth, Relationship और अगर मैं ग़लत नहीं हूँ, तो इन तीनों में से कोई एक चीज़ आपके दिमाग में घूमती रहती है, जैसे फैमिली में किसी का कोई हेल्थ प्रॉब्लम हो जाना, आपके रिज्क़ का कोई मसला हो जाना, या मियां-बीवी, भाई बहन या क़रीबी रिश्तेदारों में से किसी से कोई मैटर हो जाना |

और कभी कभी किसी प्रोब्लम को लेकर दिल बेचैन हो जाता है, दिमाग उलझ जाता है, और हालात हमारे काबू से बाहर लगने लगते हैं। हर कोशिश के बावुजूद ऐसा लगता है जैसे सुकून, बरकत और राहत कहीं खो सी गयी है। ऐसे वक्त में हमें कुरआन का दामन थाम लेना चाहिए क्यूंकि कुरआन सिर्फ़ इल्म की किताब ही नहीं, बल्कि शिफ़ा (इलाज) और हिदायत (राह दिखाने वाली) भी है।

“يَا أَيُّهَا النَّاسُ قَدْ جَاءَتْكُم مَّوْعِظَةٌ مِّن رَّبِّكُمْ وَشِفَاءٌ لِّمَا فِي الصُّدُورِ”
(“ऐ लोगो! तुम्हारे पास तुम्हारे रब की तरफ़ से नसीहत और दिलों की बीमारियों की शिफ़ा आ गई है।”)

सूरह यूनुस 10:57

तो आज हम इसी कुरआन से आपको बताएँगे पाँच पावरफुल सूरतों के बारे में

• जो अल्लाह की ख़ास रहमत और तासीर से भरी हुई हैं
• जो दिल को सुकून देती हैं,
• घर में बरकत लाती हैं,
• रिज़्क़ में इज़ाफ़ा करती हैं,
• और शैतानी असर से हिफ़ाज़त करने वाली हैं।

और हर सूरह का अपना एक नूर और असर है, तो आइए, एक-एक करके इन सूरतों के अन्दर की छिपी हुई ताक़त को समझते हैं, जिससे हमारी बे रौनक़ ज़िंदगी को नूर अता हो, और ज़हमत की जगह रहमत और बरकत अता हो।

5 Powerful Suraten Quran Me |

5 सबसे पावरफ़ुल सूरतें क़ुरान में

1. सूरह बक़रह

रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:

“अपने घरों को कब्रिस्तान मत बनाओ। जिस घर में सूरह बक़रह की तिलावत की जाती है, वहाँ से शैतान भाग जाता है।”
(सहीह मुस्लिम, हदीस: 780)

एक और हदीस में

नबी  करीम ﷺ ने फ़रमाया:

“सूरह बक़रह का पढ़ना बरकत है, और इसे छोड़ना हसरत और नुकसान है।”
(सहीह मुस्लिम, हदीस: 804)

इस सूरह के अन्दर ऐसी ताक़त है जो घर को शैतान, और शैतानी ताक़तों से, जादू और बदनसीबी से महफ़ूज़ रखती है। किसी भी तावीज़ या गंडे में वो असर नहीं जो सिर्फ़ इस सूरह की तिलावत से हासिल कर सकते हैं ऊपर की हदीसें इसी की तरफ़ इशारा कर रही हैं | तो अगर आप चाहते हैं कि इसकी बरकतें आपके घर में भी उतरना शुरू हो जाएँ और नुक़सान पहुँचाने वाली ताक़तें अपनी मौत मर जाएँ, तो रोज़ाना इसकी तिलावत शुरू कर दें |

अगर पूरी सूरह मुकम्मल न पढ़ पायें तो…

अगर मुकम्मल न पढ़ पायें तो इसे कुछ हिस्सों में बाँटकर पढ़ें , या शुरु के दिनों  में कुछ हिस्सा ही पढ़ लें, जैसे हर दिन एक रुकू या आधा पारा, ताकि पढ़ने की आदत बन जाये और फिर जब आसान हो जाये तो पूरी पढ़ने लगें ।

2. सूरह यासीन

जिस तरह इन्सान के जिस्म में दिल की बहुत अहमियत है उसी तरह सूरह यासीन की अहमियत इतनी बताई गई है कि इसको कुरआन का “दिल” कहा गया है।

नबी ﷺ ने फ़रमाया:

“हर चीज़ का एक दिल होता है, और कुरआन का दिल सूरह यासीन है।”
(सुनन अत-तिर्मिज़ी, हदीस: 2887)

एक और हदीस में है:

नबी ﷺ ने फ़रमाया:

“जो शख्स सुबह सूरह यासीन पढ़े, उसके पूरे दिन के काम पूरे कर दिए जाते हैं।”

(दरुल मनसूर, तफ़्सीर इब्न कसीर से मर्वी)

इन हदीसों से पता चलता है कि फ़ज्र की नमाज़ के बाद अगर सूरह यासीन पढ़ने की आदत डाल ली जाये, तो पूरा दिन आपके कामों में आसानी होगी, आपके किये गए फैसलों में बरकत और दिल में सुकून महसूस होगा।

3. सूरह वाक़िया

ये बात याद रखिये कि इंसान के हाथ में सिर्फ़ मेहनत है, लेकिन उस मेहनत में बरकत देना सिर्फ़ अल्लाह ही के हाथ में है और अल्लाह ने जिन चीज़ों में बरकत रखी है उन में सूरह वाक़िया भी है बल्कि यूं कहें कि ये सूरह बरकत की चाबी है।

हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने मसऊद (रज़ि.) ने फ़रमाया:

“जो व्यक्ति हर रात सूरह वाक़िया पढ़ेगा, उसे कभी फ़ाक़ा (तंगी) नहीं होगा।” (शुअब अल-ईमान, हदीस: 2435 / इब्ने सन्नी)

नबी करीम ﷺ भी अपने सहाबा को यह सूरह पढ़ने की तालीम देते थे, क्योंकि इसमें रिज़्क़ और नेमत की बरकत का वादा है, तो अगर आप की भी ख्वाहिश है कि आपका कारोबार तरक़्क़ी करे, घर में बरकत हो, और तंगी दूर हो, तो हर रात को सोने से पहले इस सूरह की तिलावत अपना रूटीन बना लीजिए।

5 Powerful Suraten Quran Me

4. सूरह मुल्क

रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:

“कुरआन में एक सूरह है जिसमें तीस आयतें हैं, जो अपने पढ़ने वाले के लिए शफ़ाअत करती है जब तक कि उसे माफ़ न कर दिया जाए।”
(सुनन अबू दाऊद, हदीस: 1400 / तिर्मिज़ी: 2891)

एक और हदीस भी देख लीजिये जिसमें

रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:
“सूरह तबारक (यानी सूरह मुल्क) कब्र के अज़ाब से बचाने वाली है।”
Musnad Ahmad (Hadith 7630), Sunan at-Tirmidhi (Hadith 2891)

इन हदीसों में यह ज़िक्र किया गया है कि इस सूरह के पढ़ने वाले को 2 फ़ायदे मिलेंगे

(1) पढ़ने वाले के लिए शिफ़ाअत (सिफारिश) करेगी
(2) क़ब्र के अज़ाब से बचाएगी

तो अगर हम रोज़ाना सोने से पहले सिर्फ़ 5 से 7 मिनट निकाल कर सूरह मुल्क पढ़ लें, तो इस दुनिया से जाते ही इसका असर क़ब्र में दिखना शुरू हो जायेगा, और ये क़ब्र का गढ़ा हमारे लिए अज़ाब का नहीं बल्कि रहमत का बाग़ बन कर रौशन हो जायेगा जिससे हमारी रूह सुकून पायेगी, तो आज ही से उस आख़िरत के घर की तैयारी कर लीजिये।

5. सूरह फलक और सूरह नास

दोनों सूरतों के शुरू में “मैं पनाह माँगता हूँ” का लफ़्ज़ आता है, और दोनों का मक़सद इंसान को हर बुराई,  बुरी नज़र, जादू और शैतान के असर से बचाना और अल्लाह की पनाह में ले आना है, इसीलिए इन दोनों सूरतों को “मुअव्विज़तैन (المعوذتين)” कहा जाता है, यानि पनाह माँगने वाली सूरतें। रसूलुल्लाह ﷺ पर जब जादू किया गया, तो अल्लाह तआला ने इन्हीं दोनों सूरतों को (फलक और नास) पढ़ते हुए जादू की उन गिरहों को खोलने का हुक्म किया, चुनाचे वैसा ही किया गया जिससे जादू का असर ख़त्म हो गया ।

हदीस में आता है:

“जब मुअव्विज़तैन नाज़िल हुईं, तो नबी ﷺ ने हर दूसरी दुआ को छोड़ दिया और इन्हीं से पनाह माँगने लगे।”
(सुनन तिर्मिज़ी, हदीस: 2058 / मुस्नद अहमद)

इसके बारे में एक और हदीस में आता है:

“नबी ﷺ जब बिस्तर पर जाते तो अपने दोनों हाथों में फूँक मारकर सूरह इख़लास, फलक और नास पढ़ते और

फिर अपने जिस्म पर फेर लेते।”
(सहीह बुख़ारी, हदीस: 5017 / मुस्लिम: 2192)

यह सूरतें बुरी नज़र, जादू और हर बुरे शैतानी असर से बचने का एक बहुत बड़ा हथियार हैं। इसलिए सुबह-शाम ख़ुद पर और बच्चों पर दम करने की आदत डालिए, इससे आपकी और आपके परिवार की रूहानी हिफ़ाज़त रहेगी और कोई भी आपकी तरफ़ आया हुआ शैतानी हमला बेकार चला जायेगा ।

तो दोस्तों ! कुरआन में हमारी ज़िंदगी की हर मुश्किल का जवाब है, हमको कुरआन से रिश्ता बना कर रखना चाहिए  लेकिन अफ़सोस ! कि हममें से बहुत से लोग पूरी ज़िंदगी गुज़ार देते हैं, लेकिन कुरआन से सही रिश्ता नहीं बना पाते। अगर आपके दिल में यह ख़याल आता है कि अब तो उम्र हो गई, मैं कैसे कुरआन सीखूँ? तो याद रखिए कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती। रोज़ाना 30-45 दें, इंशाअल्लाह आप कुरआन पढ़ना और समझना दोनों सीख जायेंगे। अल्लाह तआला अमल की तौफ़ीक़ अता फ़रमाए | आमीन

और याद रखिए, नेकी बाँटने से बढ़ती है। इसलिए इस जानकारी को दूसरों तक पहुँचाइए ताकि हमारे दुसरे भाई और बहन कुरआन की इन पाँच ताक़तवर सूरतों से फायदा उठा सके।

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